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'न मेरा, न मेरे परिवार का स्टोररूम में नकदी से कोई संबंध नहीं', कैश विवाद में जस्टिस यशवंत वर्मा ने तोड़ी चुप्पी

Justice Yashwant Varma: दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने बंगले के स्टोररूम में मिली भारी मात्रा में नकदी से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि न तो उन्हें और न ही उनके परिवार को इस नकदी की कोई जानकारी थी.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Justice Yashwant Varma: दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के मामले की जांच चल रही है. जस्टिस यशवंत वर्मा ने इस विवाद पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उन्हें इस नकदी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और न ही उनका या उनके परिवार का इससे कोई लेना-देना है. उन्होंने पुलिस के उस दावे को भी सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि आग लगने के एक दिन बाद उनके आवास से कुछ मलबा और अधजले सामान हटाए गए थे.

इस पूरे मामले की जांच दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय द्वारा की गई और उनकी रिपोर्ट को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंपा गया. यह रिपोर्ट शनिवार देर रात सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई, जिसमें जस्टिस वर्मा के विस्तृत जवाब को भी शामिल किया गया है.

कैश से कोई लेना-देना नहीं -जस्टिस वर्मा

दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने जांच रिपोर्ट में कहा, "मुझे इस नकदी की कोई जानकारी नहीं थी, न ही मेरे परिवार का इससे कोई संबंध है. न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को इस नकदी के बारे में बताया गया और न ही यह हमारे रहने वाले हिस्से में मिली है."

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिस जगह नकदी मिलने का दावा किया गया है, वह उनके निवास के मुख्य आवासीय क्षेत्र से अलग है. उन्होंने कहा कि "यह नकदी हमारे पारिवारिक उपयोग वाले क्षेत्र से अलग हिस्से में पाई गई है. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इन निराधार और बेबुनियाद आरोपों से मुझे मुक्त किया जाए." 

जस्टिस वर्मा के बंगले से बरामद हुआ भारी कैश

यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब 14 मार्च को होली की रात करीब 11:35 बजे जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई थी. दमकल विभाग ने आग बुझाने के बाद कथित रूप से भारी मात्रा में जली हुई नकदी बरामद की थी.

न ही उन्हें न परिवार को सौंपी गई कदी की बोरियां

जस्टिस वर्मा ने जांच रिपोर्ट में बताया कि न तो उन्हें और न ही उनके परिवार को कभी जली हुई नकदी की कोई बोरियां दिखाई गईं या सौंपी गईं. उन्होंने कहा कि "आग के बाद हमने अपने निजी सचिव (PS) और अन्य अधिकारियों के साथ क्षतिग्रस्त कमरे का निरीक्षण किया, लेकिन वहां किसी भी प्रकार की नकदी नहीं मिली."

पुलिस और फायर सर्विस रिपोर्ट पर सवाल

जस्टिस वर्मा ने सवाल उठाते हुए कहा, "मुझे यह समझ नहीं आता कि अगर इतनी बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी, तो उसकी कोई स्पष्ट तस्वीर या सबूत अब तक सामने क्यों नहीं आया? मेरे घर के किसी भी सदस्य, स्टाफ या पीएस को कोई ऐसी बोरियां नहीं दिखाई गईं, जिनमें कथित रूप से जली हुई नकदी रखी गई थी." उन्होंने आगे कहा कि उनके परिवार द्वारा किए गए सभी लेन-देन बैंकिंग प्रणाली, यूपीआई और कार्ड के माध्यम से पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से किए गए हैं.

मुख्य न्यायाधीश ने बनाई जांच समिति

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ एक तीन-सदस्यीय जांच समिति गठित की है. इसके साथ ही, यह भी आदेश दिया गया है कि जस्टिस वर्मा को कोई भी न्यायिक कार्य सौंपा नहीं जाएगा.

दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय की जांच रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस आयुक्त की 16 मार्च 2025 की रिपोर्ट में यह बताया गया कि जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मी के अनुसार, आग लगने के अगले दिन वहां से कुछ मलबा और अधजला सामान हटाया गया था.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जिस कमरे में आग लगी थी, वहां तक सिर्फ वही लोग पहुंच सकते थे जो उस बंगले में रहते थे या फिर वहां काम करने वाले नौकर, माली और सीपीडब्ल्यूडी के कर्मचारी.

मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "इस पूरे मामले की गहराई से जांच किए जाने की आवश्यकता है, ताकि सच सामने आ सके."

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23 March 2025, 08:45 AM IST

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