'26 लोगों की जान की कीमत पर राज्य के दर्जे की बहाली की मांग नहीं', पहलगाम हमले के बाद विधानसभा में बोले सीएम अबदुल्ला
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया. राज्य विधानसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वह इस त्रासदी के आधार पर राज्य के दर्जे की मांग नहीं करेंगे. उमर ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि मानव जीवन को राजनीतिक सौदेबाजी का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता और प्राथमिकता शांति बहाल करना है.

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को पहलगाम आतंकी हमले पर राजनीतिक लाभ उठाने से स्पष्ट इनकार कर दिया. राज्य विधानसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वह इस भयावह त्रासदी का इस्तेमाल राज्य के दर्जे की मांग के लिए नहीं करेंगे. उमर ने कहा कि 26 निर्दोष लोगों की मौत ने पूरे देश को गहरे शोक में डाल दिया है और ऐसे समय में राजनीतिक मुद्दों को उठाना नैतिक रूप से गलत होगा.
मुख्यमंत्री ने सदन में कहा, "मेरे पास इस दर्दनाक घटना पर दुख व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं. यह सिर्फ पीड़ित परिवारों के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक गहरी क्षति है." उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा वापस पाना नेशनल कॉन्फ्रेंस का एक महत्वपूर्ण एजेंडा जरूर है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में मानव जीवन को किसी भी राजनीतिक मांग का आधार नहीं बनाया जाएगा.
इस त्रासदी के सामने हम सब असहाय हो गए हैं
उमर अब्दुल्ला ने आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा, "मेरी राजनीति इतनी सस्ती नहीं है कि मैं 26 मासूम लोगों की मौत पर राज्य का दर्जा मांगने जैसा कदम उठाऊं." उन्होंने कहा कि पीड़ितों के परिजनों से माफी मांगने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं और बतौर मेजबान, पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी थी, जिसे पूरा न कर पाने का उन्हें गहरा अफसोस है. उन्होंने कहा, "बैसरन घाटी में हुए इस हमले ने न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया है. हमें यह स्वीकार करना होगा कि इस त्रासदी के सामने हम सब असहाय हो गए हैं."
#PahalgamTerrorAttack | J&K CM Omar Abdullah says, "I will not use this moment to demand statehood. After Pahalgam, with what face can I ask for statehood for Jammu and Kashmir? Meri kya itni sasti siyasat hai? We have talked about statehood in the past and will do so in the… pic.twitter.com/kZqXSRxLmY
— ANI (@ANI) April 28, 2025
उचित समय पर मांगेंगे राज्य का दर्जा
मुख्यमंत्री ने इस घटना के बाद उत्पन्न राजनीतिक बहस को दरकिनार करते हुए कहा, "हम जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था के सीधे जिम्मेदार नहीं हैं, लेकिन फिर भी, आज की पीड़ा का इस्तेमाल हम अपने राजनीतिक हित साधने के लिए नहीं करेंगे. राज्य का दर्जा हम किसी और मंच पर, उचित समय पर मांगेंगे, लेकिन इन शहीदों की लाशों पर सौदेबाजी नहीं करेंगे."
गौरतलब है कि अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर उसका विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. तब से नेशनल कॉन्फ्रेंस लगातार राज्य के दर्जे की बहाली की मांग कर रही है.
हमारी प्राथमिकता पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की
नेशनल कॉन्फ्रेंस के चुनावी घोषणापत्र में भी अनुच्छेद 370 की बहाली, राज्य का पुनर्गठन और स्वायत्तता की वापसी प्रमुख वादे रहे हैं. हालांकि, उमर अब्दुल्ला ने दोहराया कि अभी प्राथमिकता त्रासदी से उबरने और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की है, न कि राजनीतिक रोटियां सेकने की.
निर्दोषों की हत्या का कोई औचित्य नहीं
अपने संबोधन के दौरान उमर ने यह भी कहा कि हिंसा की कोई भी घटना किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है. "चाहे किसी भी विचारधारा या उद्देश्य के तहत हो, निर्दोषों की हत्या का कोई औचित्य नहीं हो सकता. हम इस घटना से टूटे हैं लेकिन फिर भी हमें आशा की किरण खोजनी होगी," उन्होंने भावुक होकर कहा.
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण के अंत में पूरे सदन से अपील की कि वे राजनीतिक मतभेदों को एक ओर रखते हुए पीड़ित परिवारों के प्रति एकजुटता और संवेदना प्रकट करें. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की धरती पर शांति बहाल करना ही आज की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए.


