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'दबाव में दोस्ती नहीं' आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अमेरिकी टैरिफ पर साधा निशाना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दबाव में कोई दोस्ती नहीं होती. उन्होंने स्वदेशी पर जोर देते हुए स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार आपसी सहमति और आत्मनिर्भरता पर आधारित होना चाहिए, और सरकार को ऐसे मामलों में निर्णय स्वतंत्र रूप से लेना चाहिए.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

India US trade: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ पर तीखा रुख अपनाया. उन्होंने स्पष्ट किया कि दबाव में कोई दोस्ती नहीं होती और यह कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार हमेशा स्वेच्छा पर आधारित होना चाहिए, न कि किसी प्रलोभन या दबाव पर. उनका यह बयान उस समय आया जब अमेरिका ने ट्रंप प्रशासन के तहत भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया था.

आत्मनिर्भरता के बीच वैश्विक व्यापार का संतुलन

भागवत ने संघ की 100वीं वर्षगांठ की व्याख्यान श्रृंखला के दौरान यह बात कही. उन्होंने स्वदेशी (Swadeshi) का महत्व बताते हुए कहा कि आत्मनिर्भरता का अर्थ विदेश से पूरी तरह कट जाना नहीं, बल्कि घरेलू उत्पादन को प्राथमिकता देना है. उन्होंने उदाहरण दिया कि गर्मियों में घर का शरबत बनाकर पीते क्यों नहीं, जब कोक-कोला खरीदना सुविधाजनक लगता है?” वे आगे बोले कि स्वदेशी का मतलब विदेशी मुलाकाती नहीं है. जहां आवश्यक हो हम विदेश से सामान लेंगे, लेकिन अपनी नीति कभी दबाव में नहीं होनी चाहिए.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर जोर

भागवत ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार अनिवार्य है क्योंकि दुनिया परस्पर निर्भर है. लेकिन कहते हैं कि यह मुटुअल सहमति पर आधारित हो, न कि दबाव पर. दबाव में कोई दोस्ती नहीं होती. यह बिना किसी बंधन के और आपसी सहमति से होनी चाहिए. यह दबाव में नहीं होनी चाहिए. हमें दबाव में नहीं आना चाहिए. मुझे यह व्यक्तिगत रूप से कहने की जरूरत नहीं है.

मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस ऐसे मामलों में सरकार को प्रभावित नहीं करता है और सरकार जानती है कि क्या किया जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि हम सरकार को ट्रंप के कहे अनुसार इस तरह या उस तरह प्रतिक्रिया देने के लिए प्रभावित नहीं करते. उन्हें इससे निपटना होगा. उन्हें क्या करना है, यह वे ही तय करेंगे. वे जो भी करेंगे, उसमें हमारा समर्थन ज़रूरी है. उन्हें ही तय करना है कि क्या करना है. वे जानते हैं कि यह कैसे किया जाता है. वे आने वाली बाधाओं का ध्यान रखेंगे.

संघ सरकार को प्रभावित नहीं करता संघ संगठन का मानना है कि वह सरकारों के पक्ष में नहीं होता बल्कि उन्हें सहयोग प्रदान करता है. भागवत ने कहा कि हम सरकार को ट्रंप के कहे अनुसार प्रतिक्रिया देने के लिए प्रभावित नहीं करते. उन्हें ही तय करना है कि क्या करना है.

आर्थिक संकट से पारित होने की चेतावनी

यह बयान अमेरिकी टैरिफ की घोषणा से एक दिन बाद आया है. एक ऐसा कदम जिसने भारत के निर्यातकों को गंभीर चुनौतियों में डाल दिया. फैशन, गहने, झींगा और गलीचा जैसे श्रम-आधारित उद्योगों को खासकर भारी झटका पहुंच सकता है.

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28 August 2025, 10:41 PM IST

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