'एक भारत के लिए बोलता है, दूसरा विदेशी आकाओं के लिए', राहुल गांधी और शशि थरूर का जिक्र कर बोले अन्नामलाई
BJP नेता के. अन्नामलाई ने राहुल गांधी पर भारत की छवि को खराब करने वाली विदेशी ताकतों की भाषा बोलने का आरोप लगाया, जबकि शशि थरूर की संतुलित और राष्ट्रहित में दी गई प्रतिक्रिया की सराहना की.

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के तमिलनाडु नेता के. अन्नामलाई ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते को लेकर कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रियाओं की तुलना करते हुए शशि थरूर की राय की सराहना की, जबकि राहुल गांधी की टिप्पणी को ‘विदेशी आकाओं को खुश करने वाला’ बताया.
अन्नामलाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर राहुल गांधी और शशि थरूर के बयानों की तुलना करते हुए लिखा कि एक नेता ने भारत के हित में बोला, जबकि दूसरे ने उन ताकतों की भाषा बोली जो भारत की छवि को नुकसान पहुंचाना चाहती हैं. उन्होंने ये टिप्पणी ऐसे समय में की है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को 'डेड इकोनॉमी' करार दिया है, जिस पर राहुल गांधी ने सहमति जताई.
अन्नामलाई का राहुल गांधी पर तीखा हमला
BJP नेता अन्नामलाई ने अपने पोस्ट में लिखा- जब पूरी दुनिया भारत को एक उजाले की किरण मान रही है, तब विपक्ष का एक नेता ऐसा है जो अब भी अंधकार में है. उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि वो भारत के विकास को देखकर भी अंधे बने हुए हैं और जानबूझकर उन विदेशी शक्तियों की बात दोहरा रहे हैं जो भारत की उभरती ताकत से परेशान हैं. अन्नामलाई ने आगे लिखा- एक ने भारत के हित में बोला, और दूसरा विदेशी आकाओं को खुश करने वाली भाषा में. यह अंतर ही उनकी राजनीतिक सोच और देशभक्ति का परिचायक है.
राहुल गांधी बोले- ट्रंप ने 'सच्चाई' कही
राहुल गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने भारत को 'डेड इकॉनमी' बताया था. राहुल ने कहा कि ट्रंप सही कह रहे हैं. ये बात सब जानते हैं सिवाय प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के. भारतीय अर्थव्यवस्था मृतप्राय है. उन्होंने आगे कहा कि मैं खुश हूं कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने सच बोला. भाजपा ने अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए अर्थव्यवस्था को खत्म कर दिया है.
शशि थरूर की संतुलित प्रतिक्रिया
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को 'चुनौतीपूर्ण' बताते हुए संतुलित प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि हमें अमेरिका के बाहर भी अपने बाजारों को विविधता देनी चाहिए. हमारे पास विकल्पों की कोई कमी नहीं है. आगे कहा कि अगर अमेरिका की मांगें 'अवास्तविक' होती हैं, तो भारत को दूसरे विकल्पों पर विचार करना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि भारत की ताकत यही है कि हम चीन की तरह पूरी तरह निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था नहीं हैं. हमारे पास एक मजबूत घरेलू बाजार है और हमारे वार्ताकारों को पूरी ताकत से समर्थन मिलना चाहिए ताकि वे भारत के लिए सबसे अच्छा समझौता कर सकें.


