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'ये हिंदू-मुस्लिम की नहीं इंसाफ की लड़ाई है', वक्फ बिल पर भड़का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि जितना अधिकार अन्य धर्मों के लिए हो, उतना मुस्लिम समुदाय का भी होना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को सच्चाई से चिढ़ है. झूठ बोलती है और झूठ फैलाती है. उन्होंने कहा कि यह कोई हिंदू मुस्लिम की लड़ाई नहीं है. अल्पसंख्यक बहुसंख्यक की लड़ाई नहीं है, यह इंसाफ की लड़ाई है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

वक्फ संसोधन बिल पर बनी जेपीसी ने गुरुवार को संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आपत्ति जताई है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि भारत में अपनी जायदाद पर जितना हक सिखों और हिंदुओं का है, उतना ही मुस्लिमों का भी है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ विधेयक को धार्मिक भेदभाव पर आधारित तथा संविधान के मूल्यों के खिलाफ करार दिया और कहा कि सरकार को ‘सबका साथ, सबका विकास’ के अपने नारे पर अमल करते हुए इस विधेयक को वापस लेना चाहिए. बोर्ड के अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि यदि विधेयक को पारित किया गया तो राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा.

यह रिपोर्ट धार्मिक भेदभाव पर आधारित है- रहमानी

रहमानी ने कहा कि हम समझते हैं कि सरकार के पास अभी मौका है कि वह इस विधेयक को वापस लेकर सबका साथ, सबका विकास के अपने नारे पर अमल करे. उनका कहना था, ‘यदि विधेयक संसद में पारित हुआ तो स्वीकार नहीं करेंगे.’ उन्होंने कहा कि वक्फ को लेकर कई तरह का झूठ फैलाया गया है और वक्फ संविधान में निहित अधिकार के तहत है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट धार्मिक भेदभाव पर आधारित है.

पर्सनल लॉ बोर्ड ने उठाए नए बिल पर सवाल

रहमानी ने कहा कि जितना अधिकार अन्य धर्मों के लिए हो, उतना मुस्लिम समुदाय का भी होना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को सच्चाई से चिढ़ है. झूठ बोलती है और झूठ फैलाती है. उन्होंने कहा कि यह कोई हिंदू मुस्लिम की लड़ाई नहीं है. अल्पसंख्यक बहुसंख्यक की लड़ाई नहीं है, यह इंसाफ की लड़ाई है. उनका यह भी कहना था कि उम्मीद है कि मजलूमों की इस लड़ाई में सभी लोग साथ देंगे.

रहमानी ने यह दावा भी किया कि एक समुदाय को नुकसान पहुंचाने और दबाव में रखने के लिए यह समान नागरिक संहिता का राग छेड़ा गया है. उन्होंने कहा, ‘हमें यह स्वीकार नहीं है. कानून के दायरे में रहकर हम किसी भी हद तक लड़ाई लड़ेंगे.’

हमें ये कबूल नहीं- मुस्लिम पर्सनल बोर्ड

खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा, हमारे देश के संविधान में बुनियादी हक के रूप में हमें धार्मिक मामलों को चलाने का हक दिया गया है. कॉमन सिविल कोड इस पर हमला है. हर समाज के अपने अपने तरीके होते हैं, हर धर्म के अपने अपने तरीके हैं. ऐसे में आप एक ही कानून सब पर कैसे थोप सकते हैं? देश में छुआ-छूत, गैर बराबरी, बेरोजगारी जैसे तमाम महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, लेकिन उन्हें छोड़ कर सरकार वक्फ के खिलाफ काम करने में लगी हुई है. ये हमें कबूल नहीं है, हम इसके खिलाफ अंत तक लड़ेंगे. हुकूमत को चाहिए कि भाईचारे का ख्याल रखा जाए. 

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13 February 2025, 05:40 PM IST

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