'सब कुछ बेच दिया, अब कैसे लौटें', पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के सामने बड़ा संकट
बाड़मेर में पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी परिवार भारत छोड़ने के सरकारी आदेश के बाद गहरे संकट में हैं. बिना दीर्घकालिक वीज़ा के रह रहे नागरिकों को 27 अप्रैल तक लौटने का निर्देश दिया गया है. कई परिवारों ने पाकिस्तान में अपनी संपत्ति बेच दी थी और अब अनिश्चित भविष्य की आशंका से जूझ रहे हैं.

राजस्थान के बाड़मेर में सीआईडी-क्राइम ब्रांच (सीआईडी-सीबी) कार्यालय के बाहर खड़े पाकिस्तानी हिंदू परिवारों की आंखों में चिंता साफ दिखाई दे रही है. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार के निर्देशों के चलते, वैध दीर्घकालिक वीज़ा (एलटीवी) के बिना भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को रविवार यानी (27 अप्रैल) तक देश छोड़ने का आदेश दिया गया है. इस फैसले ने बेहतर भविष्य की तलाश में भारत आए इन परिवारों के सपनों पर संकट के बादल मंडरा दिए हैं.
बाड़मेर स्थित सीआईडी-सीबी दफ्तर के बाहर खड़े एक बच्चे ने मासूमियत से कहा, "भारत अच्छा है, पाकिस्तान में अब हमारे लिए कुछ नहीं बचा. महंगाई बहुत है और रोजगार के अवसर नहीं हैं." ऐसे कई परिवारों ने पाकिस्तान में अपनी संपत्ति बेचकर भारत में नया जीवन शुरू करने की उम्मीद से कदम रखा था. अब उन्हें वापस उसी जगह लौटने का भय सता रहा है, जहां न तो घर है, न ही रोज़गार और न कोई सुरक्षित भविष्य.
एलटीवी के लिए गुहार लगा रहे परिवार
बीते कुछ दिनों में सैकड़ों पाकिस्तानी हिंदू परिवार सीआईडी-सीबी कार्यालय पहुंचे हैं. वे अपने प्रवास को वैध बनाने के प्रयास में जरूरी दस्तावेज और कागजी कार्रवाई पूरी करने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं. 18 सदस्यीय एक परिवार, जो 19 अप्रैल को पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आया था, अधिकारियों से भारत में रहने की अनुमति मांग रहा है. परिवार के सदस्य सुरेश ने कहा, "हम 45 दिन के वीज़ा पर रिश्तेदारों से मिलने आए थे. पाकिस्तान में हमने अपना सब कुछ बेच दिया. अब वहां हमारा कोई नहीं बचा. हमने एलटीवी के लिए आवेदन कर दिया है."
उन्होंने भावुक होकर कहा, "हमारा पहलगाम की घटना से कोई लेना-देना नहीं है. हम तो बस शांति और अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की तलाश में भारत आए हैं. सरकार से निवेदन है कि हमें यहां रहने की अनुमति दी जाए."
'वापसी अब संभव नहीं'
बाड़मेर में कई अन्य परिवार भी इसी तरह की पीड़ा साझा कर रहे हैं. अप्रैल माह में ही चार हिंदू परिवार, जिनमें कुल 33 सदस्य शामिल हैं, अटारी बॉर्डर पार कर बाड़मेर पहुंचे थे. इनमें से उमरकोट निवासी सतरदास और सिंध प्रांत के हमीरमल जैसे कई लोग पहले ही लॉन्ग टर्म वीजा के लिए आवेदन कर चुके हैं. उन्होंने भारत में एक नई शुरुआत की उम्मीद में पलायन करने से पहले पाकिस्तान में अपने घर, ज़मीन और व्यवसाय बेच दिए थे. वहीं, उमरकोट के जालमसिंह मेडिकल वीज़ा पर अपनी पत्नी के साथ भारत आए थे और अब यहीं स्थायी रूप से बसने की कोशिश कर रहे हैं.
बेटी की शादी छोड़कर लौटने को मजबूर स्वरूप सिंह
इस आदेश से स्वरूप सिंह जैसे लोगों की निजी खुशियों पर भी ग्रहण लग गया है. स्वरूप सिंह अपनी बेटी की शादी में शामिल होने के लिए भारत आए थे, लेकिन वीज़ा समाप्त होने और आदेश के चलते उन्हें शादी से पहले ही पाकिस्तान लौटने को मजबूर होना पड़ा. उनकी बेटी भारतीय नागरिक है, लेकिन स्वरूप सिंह और उनके परिवार के अन्य सदस्य पाकिस्तान में रहते हैं. उन्होंने कहा, "बेटी की शादी में शामिल न हो पाना मेरे लिए बेहद पीड़ादायक है."
सरकारी निर्देशों का पालन अनिवार्य: प्रशासन
पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों ने भारत में स्थायी रूप से बसने के लिए एलटीवी के तहत आवेदन कर दिया है और संबंधित खुफिया एजेंसियों को सूचित भी कर दिया है. फिर भी, प्रशासन साफ कर चुका है कि तय समय सीमा के बाद बिना वैध दस्तावेजों के रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ निर्वासन की कार्यवाही की जाएगी.
विदेशी पंजीकरण कार्यालय (FRO) के एक अधिकारी ने कहा, "सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप, 27 अप्रैल की समयसीमा बीतने के बाद अब कार्रवाई शुरू की जाएगी." बाड़मेर के एसपी नरेंद्र सिंह मीना ने भी पुष्टि की कि निर्धारित समय सीमा के बाद बिना एलटीवी या वैध वीज़ा वाले नागरिकों को निर्वासित किया जाएगा.


