नेहरू की विदेश नीति पर उठे सवाल, पीएम मोदी ने राहुल गांधी को दी किताब पढ़ने की सलाह

नेहरू की चीन नीति और उनकी रणनीतिक गलतियों को लेकर नई बहस छिड़ गई है. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सुझाई गई किताब ने इस चर्चा को और तेज कर दिया है. यह चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब भारत-चीन संबंधों को लेकर लगातार नई चर्चाएं सामने आ रही हैं. आईए जानते हैं पूरा मामला क्या है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

भारत की विदेश नीति और चीन के प्रति दृष्टिकोण को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणियों का जवाब देते हुए एक खास किताब का जिक्र किया, जिसने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की विदेश नीति पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं. यह चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब भारत-चीन संबंधों को लेकर लगातार नई चर्चाएं सामने आ रही हैं.

लोकसभा में राहुल गांधी ने सरकार के इस दावे पर सवाल उठाए थे कि चीन ने किसी भी भारतीय भूमि पर कब्जा नहीं किया है. इसके जवाब में पीएम मोदी ने 'जेएफके फॉरगॉटन क्राइसिस: तिब्बत, सीआईए एंड द सिनो-इंडियन वॉर' किताब को पढ़ने की सलाह दी. इस किताब में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के कार्यकाल के दौरान भारत-चीन युद्ध की स्थिति और नेहरू की नीतियों का विश्लेषण किया गया है.

नेहरू की 'गलतियां' क्या थीं?

टाइम्स नाउ से खास बातचीत में इस किताब के लेखक ब्रूस रीडेल ने कहा कि नेहरू की रणनीतिक चूक की वजह से भारत को चीन के संदर्भ में एक अस्थिर सुरक्षा स्थिति का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि नेहरू भारत को चीन के साथ जोड़ना चाहते थे, लेकिन वे बीजिंग की आक्रामक नीतियों को पहचानने में असफल रहे.

रीडेल ने कहा, "नेहरू चाहते थे कि भारत एक उभरती हुई ताकत के रूप में चीन के साथ खड़ा हो, लेकिन वे यह समझने में नाकाम रहे कि चीन तिब्बत और भारत की सीमा को लेकर क्या आक्रामक रुख अपनाने वाला है." यह चूक 1962 के भारत-चीन युद्ध के रूप में सामने आई, जिसमें भारत को सैन्य नुकसान उठाना पड़ा.

अमेरिका से मदद की उम्मीद थी

लेखक ब्रूस रीडेल ने यह भी बताया कि नेहरू ने अमेरिका से सैन्य मदद की उम्मीद की थी. उन्होंने कहा, "अगर चीन का आक्रमण जारी रहता तो कैनेडी भारत की रक्षा के लिए 350 विमान और 10,000 अमेरिकी वायुसेना कर्मियों को भेजते. इससे साफ होता है कि नेहरू ने उस समय अमेरिका की ओर रुख किया था."

भारत की मौजूदा वैश्विक स्थिति

आज की तारीख में भारत वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरा है. रीडेल ने कहा, "भारत ने लोकतंत्र और वैश्विक मूल्यों को बढ़ावा देते हुए खुद को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है." वर्तमान समय में भारत को दुनिया के सबसे प्रभावशाली देशों में से एक माना जाता है, जिसकी विदेश नीति पहले से कहीं अधिक स्पष्ट और मजबूत हो चुकी है.

राहुल गांधी की टिप्पणी पर बढ़ी बहस

इस पूरी बहस की शुरुआत राहुल गांधी की उस टिप्पणी से हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि सेना ने सरकार के इस दावे का खंडन किया है कि चीन ने किसी भी भारतीय भूमि पर कब्जा नहीं किया है. इसके बाद पीएम मोदी ने परोक्ष रूप से राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि जो लोग विदेश नीति में रुचि रखते हैं, उन्हें 'जेएफके फॉरगॉटन क्राइसिस' किताब जरूर पढ़नी चाहिए.

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05 February 2025, 12:57 PM IST

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