सरकार में आए तो वक्फ कानून को करेंगे खत्म, बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव का बड़ा वादा
बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव ने वादा किया कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो वक्फ (संशोधन) अधिनियम को खत्म कर देंगे. भाजपा ने उनके बयान को भ्रामक बताया और कहा कि यह कानून संसद द्वारा पारित है. सुप्रीम कोर्ट ने अधिनियम को बरकरार रखा है, हालांकि कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है.

बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को वादा किया कि यदि राज्य में भाजपा की सरकार बनती है, तो विवादास्पद वक्फ (संशोधन) अधिनियम को कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा. उन्होंने यह बयान सीमांचल क्षेत्र के मुस्लिम बहुल जिलों कटिहार और किशनगंज में आयोजित चुनावी रैलियों के दौरान दिया.
तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा ऐसी ताकतों का साथ देते हैं, जिनके कारण आरएसएस और उसके संगठन देश में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं. भाजपा को ‘भारत जलाओ पार्टी’ कहना गलत नहीं है. अगर बिहार में इंडिया ब्लॉक सत्ता में आया, तो हम वक्फ अधिनियम को खत्म कर देंगे.
वक्फ संशोधन अधिनियम क्या है?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को अप्रैल में संसद ने पारित किया था. केंद्र की एनडीए सरकार का दावा है कि इस कानून का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय, विशेष रूप से महिलाओं, को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है. हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि यह अधिनियम मुसलमानों के अधिकारों का हनन करता है और धार्मिक संस्थाओं के मामलों में सरकारी दखल बढ़ाता है. यही कारण है कि इस मुद्दे पर राजनीतिक और धार्मिक हलकों में गहरा विरोध देखा जा रहा है.
भाजपा का पलटवार
तेजस्वी यादव के इस बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी है. भाजपा ने कहा कि यह अधिनियम संसद द्वारा पारित और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वीकृत है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज़ हुसैन ने कहा कि राजद नेता जनता को भ्रमित कर रहे हैं. वक्फ संशोधन अधिनियम संसद में पारित हो चुका है, इसे राज्य सरकारें रद्द नहीं कर सकतीं. यह बयान उनकी हताशा को दर्शाता है.
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने भी तेजस्वी यादव पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड का बिल विधानसभा में नहीं, बल्कि संसद में पारित हुआ है. किसी को अपनी संवैधानिक सीमाओं को समझकर ही बयान देना चाहिए.
क्या कोई राज्य वक्फ अधिनियम को रद्द कर सकता है?
संवैधानिक रूप से किसी राज्य सरकार के पास संसद द्वारा पारित कानून को रद्द करने का अधिकार नहीं है. हालांकि, राज्य सरकार संसद से संशोधन का अनुरोध कर सकती है या न्यायालय में प्रावधानों को चुनौती दे सकती है. संविधान के अनुच्छेद 256 के तहत कोई भी राज्य केंद्रीय कानून के क्रियान्वयन से इनकार नहीं कर सकता. वहीं अनुच्छेद 254(2) राज्य को राष्ट्रपति की स्वीकृति से उस विषय पर अपना कानून बनाने की अनुमति देता है.
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को रद्द करने से इनकार कर दिया है, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है. इनमें वह प्रावधान भी शामिल है, जिसमें कहा गया था कि केवल पिछले पाँच वर्षों से इस्लाम का पालन करने वाले व्यक्ति ही संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकते हैं. कोर्ट ने सितंबर में अपने आदेश में कहा, “किसी कानून की संवैधानिकता के पक्ष में हमेशा पूर्वधारणा रहती है, और न्यायिक हस्तक्षेप केवल दुर्लभ मामलों में किया जाना चाहिए.”


