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अमित शाह ने रचा इतिहास, तोड़ा आडवाणी का रिकॉर्ड...ऐसा करने वाले बने पहले गृह मंत्री

गृह मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त 2025 को आडवाणी को पीछे छोड़ते हुए सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गृह मंत्री का रिकॉर्ड बनाया. उनके कार्यकाल में अनुच्छेद 370 हटाना, CAA, तीन तलाक प्रतिबंध, UCC की पहल और आपराधिक कानूनों में ऐतिहासिक बदलाव जैसे कई बड़े फैसले हुए. मणिपुर हिंसा अब भी एक चुनौती बनी हुई है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

मैं अनुच्छेद 370 को हटाने के सरकार के फैसले से खुश हूं. यह राष्ट्रीय एकता को मज़बूत करने की दिशा में एक साहसिक कदम है... मैं इस ऐतिहासिक पहल के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री श्री अमित शाह को बधाई देता हूं. भाजपा के वरिष्ठ नेता और दोनों नेताओं के राजनीतिक गुरु लालकृष्ण आडवाणी ने 5 अगस्त 2019 को कहा था. ठीक छह साल पहले जब पूर्व उप-प्रधानमंत्री ने भाजपा-भारतीय जनसंघ के एक दीर्घकालिक लक्ष्य को पूरा होते देखा था. इस साल 5 अगस्त का दिन शाह के लिए विशेष महत्व रखता है. वह आडवाणी को पीछे छोड़ते हुए भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गृह मंत्री बन गए हैं, यह एक ऐसा दौर रहा है जिसमें कई बदलाव और उपलब्धियां देखी गई हैं.

6 साल बाद शाह ने रचा इतिहास

5 अगस्त 2025 को इस निर्णय को 6 वर्ष पूरे हो गए. इसी दिन अमित शाह भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गृह मंत्री बन गए. उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के 2,193 दिन के रिकॉर्ड को पार करते हुए 2,194 दिन पूरे किए. यह उपलब्धि महज एक आंकड़ा नहीं, बल्कि उस कार्यकाल की पहचान है, जिसमें भारत की आंतरिक सुरक्षा और वैचारिक दृष्टिकोण में ठोस बदलाव लाए गए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एनडीए की संसदीय दल की बैठक में हिस्सा लिया. पीएम मोदी ने इस अवसर पर शाह की खुलकर सराहना की और उन्हें उनके योगदान के लिए बधाई दी.

'एक राष्ट्र, एक संविधा' की दिशा में ऐतिहासिक कदम

अमित शाह ने राज्यसभा में अनुच्छेद 370 हटाने की घोषणा कर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधान को खत्म कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 भी प्रस्तुत किया, जिसके तहत राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर (विधायिका सहित) और लद्दाख (विधायिका रहित)में विभाजित कर दिया गया. इस फैसले ने भाजपा के एक दीर्घकालिक वैचारिक लक्ष्य को साकार किया.

शाह के नेतृत्व में आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव हुए

1. नक्सल विरोधी अभियान के कारण नक्सली घटनाओं में भारी गिरावट आई है. 2009-2014 के बीच जहां 5,225 मौतें हुईं, वहीं 2019-2024 के बीच यह आंकड़ा 600 से नीचे आ गया.

2. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में 70% तक की कमी आई.

3. पर्यटन में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई, जो क्षेत्र में सामान्य स्थिति लौटने का संकेत है.

4. सीएए 2019 के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की प्रक्रिया तेज़ हुई.

तीन तलाक पर प्रतिबंध और समान नागरिक संहिता (UCC) की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की गई.

आपराधिक कानूनों में ऐतिहासिक बदलाव

अमित शाह के कार्यकाल में भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलते हुए तीन नए कानून लागू किए गए:

1. भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023

2. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023

3. भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023

इन नए कानूनों ने औपनिवेशिक कानूनों की जगह ली और भारतीय न्याय प्रणाली को आधुनिक और जनहितकारी बनाने में योगदान दिया.

मणिपुर हिंसा बनी बड़ी चुनौती

हालांकि अमित शाह का कार्यकाल अनेक उपलब्धियों से भरा रहा है, लेकिन मणिपुर में 2023 से जारी जातीय हिंसा एक ऐसी चुनौती है, जिसे उन्होंने स्वयं प्राथमिकता बताया है. यह क्षेत्र अभी भी शांति और स्थिरता की राह देख रहा है.

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मिली गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी

अमित शाह को 30 मई 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में गृह मंत्री का दायित्व सौंपा गया. पद संभालते ही उन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा, विधायी सुधार और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए कई कड़े और दूरदर्शी फैसले लिए.

ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में विपक्ष का हंगामा

हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया, जिसमें 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया. संसद के मॉनसून सत्र में इस अभियान को लेकर विपक्ष ने तीखी बहस और चर्चा की मांग की. सरकार की ओर से गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया और सरकार का पक्ष मजबूती से रखा.

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05 August 2025, 03:54 PM IST

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