Bilkis scandal case: बिलकिस बानो को मिला न्याय, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बानो के रिश्तेदारों ने पटाखे फोड़कर मनाई खुशियां

Bilkis scandal case: बिलकिस कांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार का आदेश रद्द कर दिया है. कोर्ट ने 2 हफ्ते के भीतर बिलकिस कांड के आरोपियों को वापस जेल जाने का आदेश दिया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद बिलकिस बानो के रिश्तेदार बेहद खुशी है.

दीक्षा परमार
दीक्षा परमार

Supreme Court: सोमवार को बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए गुजरात सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है.  सुप्रीम कोर्ट ने मामले के सभी 11 दोषियों को वापस से जेल जाने का आदेश दिया है. वहीं कोर्ट के इस फैसले का बिलकिस बानो के एक गवाह ने सराहना की है. उन्होंने कहा कि, बानो को आज न्याय मिला है. वहीं दोषियों को वापस जेल जाने की बात सुनकर बानो के परिवार वाले बेहद खुश है. बानो के रिश्तेदार कोर्ट के फैसले के बाद पटाखे जलाकर जश्न भी मनाया है.

गौरतलब है कि, गैंगरेप और हत्या में दोषी करार दिए गए थे लेकिन 15 साल जेल की सजा काटने के बाद अगस्त 2022 में रिहा हो गए थे. इन 11 आरोपी 15 साल जेल की सजा काटने के बाद अगस्त 2022 में रिहा हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि, मुकदमा महाराष्ट्र में चला था इसलिए, गुजरात सरकार दोषियों की रिहाई पर फैसला नहीं ले सकती थी.

2002 के दंगों के दौरान हुआ था सामूहिक दुष्कर्म-

दरअसल, 2002 के गुजरात दंगों के दौरान दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की बिलकिस अपने परिवार के 16 सदस्यों के साथ भाग कर नजदीक के एक गांव छापरवाड के खेतों में छिप गई. वहीं 3 मार्च 2002 को वहां 20 से ज्यादा दंगाइयों ने हमला कर दिया था जिसमें 5 महीने की गर्भवती बिलकिस समेत कुछ महिलाओं का बलात्कार किया. इतना ही नहीं बिलकिस की 3 साल की बेटी समेत 7 लोगों की हत्या भी कर दी गई.

2008 में मिली उम्र कैद की सजा-

इस मामले में आरोपियों की तरफ से पीड़ित पक्ष पर दबाव बनाने की शिकायत मिलने पर सुप्रीम  कोर्ट ने इस मामले को महाराष्ट्र ट्रांसफर कर दिया था. 21 जनवरी 2008 को मुंबई की विशेष सीबीआई कोर्ट ने 11 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद भी इस मामले की सुनवाई साल 217 में हुई थी जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा था.

2 हफ्ते में करना होगा समर्पण-

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, भले ही यह दोषी लगभग डेढ़ साल से बाहर हैं लेकिन उन्हें वापस जेल भेजने का फैसला लेते समय इस बात का महत्व नहीं दिया जा सकता है. कोर्ट ने आगे कहा कि, देश कानून के शासन के आधार पर चलता है. उन्होंने कहा कि, गुजरात के जिस आदेश के आधार पर दोषियों की रिहाई हुई वह कानून गलत था इसलिए दोषियों को इसका फायदा नहीं मिल सकता है. अंत में सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों से कहा कि, वे 2 हफ्ते के भीतर समर्पण कर वापस जेल जाएं.

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08 January 2024, 04:33 PM IST

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