पहलगाम हमले के बाद विपक्ष का बड़ा हमला: सुरक्षा चूक और सरकार की नाकामी पर सवाल
सर्वदलीय बैठक के दौरान विपक्ष ने मुख्य रूप से पहलगाम के पास स्थित पर्यटक स्थल बैसरन में सुरक्षा बलों की गैरमौजूदगी पर आलोचना की, जहां यह आतंकवादी हमला हुआ था. इस पर सरकार ने जवाब दिया है.

पहलगाम आतंकवादी हमले के संदर्भ में गुरुवार शाम को आयोजित सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने केंद्र सरकार से कई अहम सवाल किए. इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी. बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई थी, जो सरकार द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने की घोषणा के एक दिन बाद आयोजित की गई थी. इनमें पाकिस्तान के सैन्य अताशे को निष्कासित करना, सिंधु जल संधि को निलंबित करना और अटारी भूमि-पारगमन बिंदु को बंद करना जैसे कदम शामिल थे.
बैसरन क्षेत्र में सुरक्षा बलों की अनुपस्थिति
बैठक के दौरान विपक्ष ने मुख्य रूप से पहलगाम के बैसरन क्षेत्र में सुरक्षा बलों की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए, जहां यह हमला हुआ था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई अन्य नेताओं ने यह सवाल उठाया कि सुरक्षा बल इस क्षेत्र में क्यों तैनात नहीं किए गए. सरकार ने इस पर स्पष्ट किया कि बैसरन को आम तौर पर जून में शुरू होने वाली वार्षिक अमरनाथ यात्रा से पहले सुरक्षा के लिए तैयार किया जाता है और यात्रा के शुरू होने के बाद ही सुरक्षा बलों को तैनात किया जाता है. हालांकि, केंद्र ने यह भी बताया कि स्थानीय टूर ऑपरेटरों ने यात्रा सीजन से पहले 20 अप्रैल से ही पर्यटकों को इस क्षेत्र में लाना शुरू कर दिया था और प्रशासन को इसकी पूर्व सूचना नहीं थी. इस कारण सुरक्षा बलों की तैनाती नहीं हो सकी.
क्या है भारत का रणनीतिक संदेश?
विपक्ष ने यह भी सवाल उठाया कि यदि भारत के पास सिंधु जल संधि के तहत भंडारण क्षमता की कमी है, तो उसे क्यों निलंबित किया गया. सरकार ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह कदम तत्काल परिणाम के लिए नहीं बल्कि एक प्रतीकात्मक और रणनीतिक संदेश देने के लिए उठाया गया है.
बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा की और इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक तपन डेका ने पहलगाम हमले के बारे में जानकारी दी. बैठक में भाजपा और अन्य प्रमुख दलों के नेता शामिल थे.


