पैरों में जंजीरें, हाथों में हथकड़ी... अमेरिका से भारत भेजे प्रवासियों ने सुनाई अपनी दुख भरी दास्तां
US Immigration Policy: अमेरिका से जबरन लौटाए गए भारतीय प्रवासियों ने अपनी दर्दनाक आपबीती सुनाई है. उन्होंने दावा किया कि उन्हें सैन्य विमान से वापस भेजते समय हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीरों से बांधकर ले जाया गया. हालांकि, सरकार ने इन दावों को खारिज कर दिया है.

US Immigration Policy: अमेरिका में अवैध रूप से दाखिल हुए भारतीय नागरिकों को वापस भेजे जाने के दौरान अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ा. भारत लौटे कई प्रवासियों ने दावा किया कि उन्हें सैन्य विमान से यात्रा के दौरान हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीरों से बांधकर भेजा गया. हालांकि, सरकार ने इन दावों को खारिज कर दिया है.
अवैध प्रवासियों पर अमेरिकी प्रशासन की सख्त कार्रवाई के बीच, बुधवार को 19 महिलाओं और 13 नाबालिगों सहित कुल 104 भारतीय नागरिकों को निर्वासित कर अमृतसर भेजा गया. अमेरिका में प्रवास संबंधी सख्त नियमों के चलते इन भारतीयों को हिरासत में लिया गया था और फिर उन्हें जबरन भारत भेज दिया गया.
हथकड़ी और बेड़ियों में कैदियों जैसी यात्रा
निर्वासित भारतीयों में शामिल जसपाल सिंह ने बताया कि अमृतसर हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद ही उनके हाथ-पैरों की बेड़ियां खोली गईं. पंजाब के गुरदासपुर के निवासी 36 वर्षीय जसपाल ने बताया कि भारत भेजे जाने से पहले उन्हें 11 दिनों तक हिरासत में रखा गया था. उन्होंने पीटीआई से बातचीत में कहा, "हमें ऐसा लगा कि हमें किसी अन्य हिरासत शिविर में ले जाया जा रहा है. फिर एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमें भारत भेजा जा रहा है. हमें यात्रा के दौरान हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीरें लगाई गई थीं, जो अमृतसर पहुंचने के बाद खोली गईं."
सरकार ने किया दावों का खंडन
हालांकि, भारत सरकार ने इन आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि प्रवासियों को इस तरह से नहीं ले जाया गया था. सरकार ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें भारतीयों की नहीं बल्कि ग्वाटेमाला के नागरिकों की थीं.
ट्रैवल एजेंट के धोखे का शिकार हुए प्रवासी
निर्वासित भारतीयों में से कई ने बताया कि वे ट्रैवल एजेंटों के झांसे में आकर अमेरिका पहुंचे थे. जसपाल सिंह ने बताया कि एक एजेंट ने उन्हें कानूनी तरीके से अमेरिका भेजने का वादा किया था, लेकिन बाद में वह धोखाधड़ी का शिकार हो गए. "मैंने एजेंट से कहा था कि मुझे उचित वीजा के साथ भेजा जाए, लेकिन उसने धोखा दे दिया. सौदा 30 लाख रुपये में तय हुआ था. बड़ी रकम खर्च की गई, जिसे उधार लिया गया था," जसपाल ने बताया.
कई देशों से होकर अमेरिका पहुंचने की कोशिश
पंजाब के ही एक अन्य निर्वासित प्रवासी हरविंदर सिंह ने बताया कि अमेरिका पहुंचने से पहले उन्हें कई देशों से होकर गुजरना पड़ा. उन्होंने कहा, "मैक्सिको पहुंचने से पहले मैं कतर, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, पनामा और निकारागुआ से होते हुए यात्रा कर चुका था." उन्होंने आगे बताया कि अमेरिका पहुंचने के लिए उन्हें बेहद खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ा. "हमने पहाड़ियां पार कीं, एक नाव में सवार थे, जो समुद्र में डूबने वाली थी, लेकिन हम किसी तरह बच गए." हरविंदर ने यह भी बताया कि उन्होंने पनामा के जंगलों में एक व्यक्ति को मरते हुए और एक अन्य को समुद्र में डूबते हुए देखा.
डंकी मार्ग से अमेरिका जाने की कोशिश
पंजाब से निर्वासित एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि अमेरिका पहुंचने के लिए 'डंकी मार्ग' (अवैध तरीके से प्रवास) अपनाने के दौरान उनके कीमती सामान चोरी हो गए. उन्होंने कहा, "मेरे कपड़े, जिनकी कीमत 30,000-35,000 रुपये थी, चोरी हो गए."
भारत लौटे प्रवासियों की संख्या और विवरण
अमेरिका से निर्वासित किए गए 104 भारतीयों में से 33 हरियाणा, 33 गुजरात, 30 पंजाब, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश, और दो चंडीगढ़ के थे. इनमें 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल थे, जिनमें एक चार वर्षीय बालक और पांच एवं सात वर्ष की दो लड़कियां भी थीं.
मोदी-ट्रंप वार्ता से पहले हुई निर्वासन की कार्रवाई
अमेरिका से भारतीय प्रवासियों को वापस भेजे जाने की यह घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ प्रस्तावित वार्ता से कुछ दिन पहले हुई है. सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी प्रशासन ने 18,000 अवैध भारतीय प्रवासियों की सूची तैयार की है, जिन्हें जल्द ही भारत वापस भेजा जा सकता है.


