नेपाल-भूटान के नागरिक बिना पासपोर्ट-VISA आ सकेंगे भारत, गृह मंत्रालय ने किया बड़ा ऐलान
भारत सरकार ने इमिग्रेशन और फॉरेनर्स एक्ट, 2025 के तहत नेपाल, भूटान, तिब्बती शरणार्थियों, श्रीलंकाई तमिलों और धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में शरण लेने वाले अफगान, पाक और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को पासपोर्ट और वीजा की अनिवार्यता से छूट दी है. यह निर्णय मानवीय दृष्टिकोण से लिया गया है और भारत की सहिष्णु नीति को दर्शाता है.

भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक नया आदेश जारी किया है, जो हाल ही में लागू हुए इमिग्रेशन और फॉरेनर्स एक्ट, 2025 के तहत आया है. इस आदेश के अनुसार, कुछ विशेष नागरिकों और समूहों को भारत में प्रवेश, निवास और बाहर जाने के लिए पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं होगी. यह कदम मानवता के दृष्टिकोण से उठाया गया है, ताकि ऐसे लोग जिन्हें मजबूरी में भारत आना पड़ा, उन्हें राहत मिल सके.
इन देशों के नागरिकों को नहीं होगी दस्तावेजों की जरूरत
ड्यूटी पर जा रहे सैन्य कर्मियों को भी छूट
भारतीय सेना, नौसेना या वायुसेना के जो सदस्य सरकारी कार्य पर देश के भीतर या बाहर यात्रा कर रहे हैं, उन्हें भी पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं होगी. यदि उनके परिवार के सदस्य भी साथ में यात्रा कर रहे हैं और वे सरकारी परिवहन का उपयोग कर रहे हैं, तो उन पर भी यह नियम लागू नहीं होगा. यह छूट केवल ड्यूटी के दौरान ही मान्य होगी.
तिब्बती शरणार्थियों के लिए विशेष व्यवस्था
भारत सरकार ने लंबे समय से भारत में रह रहे तिब्बती शरणार्थियों के लिए भी नियमों में ढील दी है. जो तिब्बती नागरिक 1959 के बाद और 30 मई 2003 से पहले भारत आए थे और जिन्हें भारतीय दूतावास, काठमांडू से विशेष प्रवेश अनुमति (Special Entry Permit) मिली थी, उन्हें भारत में रहने के लिए पासपोर्ट या वीजा की आवश्यकता नहीं है. इसी तरह, जो लोग 30 मई 2003 से लेकर इस नए कानून के लागू होने तक भारत में उसी प्रक्रिया से आए हैं, और रजिस्ट्रेशन ऑफिसर से रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त किया है, वे भी इस छूट के पात्र होंगे.
अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को राहत
गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के वे नागरिक जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय से आते हैं और जिन्हें धार्मिक कारणों से अपने देश से भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी, उन्हें भी दस्तावेजों की कमी के कारण भारत में प्रवेश से रोका नहीं जाएगा. अगर ये लोग 31 दिसंबर 2024 तक भारत में प्रवेश कर चुके हैं, चाहे उनके पास वैध दस्तावेज हों या नहीं, या उनके दस्तावेजों की वैधता समाप्त हो चुकी हो — तब भी उन्हें इस नए नियम के तहत पासपोर्ट और वीजा की अनिवार्यता से छूट दी जाएगी.
श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों को भी मिली राहत
इसके अलावा, श्रीलंका के तमिल समुदाय के वे लोग, जो भारत में 9 जनवरी 2015 तक शरण ले चुके हैं और जिनका रजिस्ट्रेशन हो चुका है, उन्हें भी इस नए नियम के अंतर्गत पासपोर्ट और वीजा की अनिवार्यता से मुक्त किया गया है. यह कदम उन तमिल शरणार्थियों के प्रति भारत की सहानुभूति को दर्शाता है, जिन्होंने वर्षों पहले भारत में पनाह ली थी.
धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति सहानुभूति
गृह मंत्रालय द्वारा जारी यह आदेश भारत के पड़ोसी देशों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति सहानुभूति का प्रतीक है. यह उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत है जो या तो भारत के मित्र देशों से आते हैं, या जिन्होंने धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में शरण ली है. यह कानून भारत की लोकतांत्रिक, सहिष्णु और मानवीय नीति को मजबूत करता है, जिसमें हर ज़रूरतमंद को आश्रय और सुरक्षा देने की भावना प्रमुख है.


