भारत के शहरों पर मंडराया जलवायु संकट का साया, वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट से मचा हड़कंप!
वर्ल्ड बैंक की एक ताजा रिपोर्ट ने भारत के शहरी भविष्य को लेकर गंभीर चिंताएं जताई हैं. रिपोर्ट के अनुसार, देश के प्रमुख शहरों में रात का तापमान गांवों की तुलना में 3 से 5 डिग्री सेल्सियस तक अधिक है, जो कि जलवायु असंतुलन का साफ संकेत है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बताया गया है अनियोजित शहरीकरण और जर्जर इंफ्रास्ट्रक्चर.

देश के बड़े शहरों में तापमान और बाढ़ के खतरों को लेकर वर्ल्ड बैंक की नई रिपोर्ट ने चिंता बढ़ा दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के शहरी इलाकों में रात का तापमान ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले 3 से 5 डिग्री सेल्सियस तक अधिक दर्ज किया गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह शहरों में बढ़ता खराब इंफ्रास्ट्रक्चर और अनियोजित शहरीकरण मानी जा रही है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश के 24 प्रमुख शहरों में भारी बारिश के चलते बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. आने वाले वर्षों में यह खतरा और विकराल रूप ले सकता है, जिससे अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान होने की आशंका है.
दिल्ली में सबसे ज्यादा बाढ़ का खतरा
रिपोर्ट में जिन शहरों का अध्ययन किया गया है, उनमें दिल्ली, चेन्नई, इंदौर, लखनऊ, सूरत और तिरुवनंतपुरम प्रमुख हैं. इनमें दिल्ली सबसे ज्यादा खतरे की जद में है, जहां वर्षा के कारण बाढ़ से प्रभावित होने वाला निर्मित क्षेत्र (Built-up area) सबसे अधिक है. रिपोर्ट के अनुसार, “निरंतर शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के चलते यदि समय पर सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो नुकसान तेजी से बढ़ेगा.”
वर्षा बाढ़ का खतरा 100% तक बढ़ सकता है
वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि आने वाले 50 वर्षों में वर्षा बाढ़ (pluvial flood) का जोखिम 73% से 100% तक बढ़ सकता है. इसका मतलब है कि भारी वर्षा के कारण सतह पर जलभराव और बाढ़ की घटनाएं कहीं ज्यादा सामान्य होती जाएंगी.
2030 तक अरबों का नुकसान
रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि शहरों में जल प्रबंधन और निर्माण प्रणाली में कोई बदलाव नहीं किया गया, तो वर्षा बाढ़ के कारण सालाना नुकसान 2030 तक 5 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. यही नुकसान 2070 तक 14 से 30 अरब डॉलर के बीच हो सकता है.
खराब इंफ्रास्ट्रक्चर बना गर्मी और बाढ़ का बड़ा कारण
शहरों में रात का तापमान अधिक रहने का कारण केवल जलवायु परिवर्तन नहीं, बल्कि असंतुलित और अव्यवस्थित शहरी विकास है. बिना हरियाली, कंक्रीट की भरमार और जलनिकासी के पुराने या असंगठित सिस्टम इन समस्याओं को और बढ़ा रहे हैं.
समाधान की दिशा में जरूरी कदम
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि अगर भारत को इस बढ़ते खतरे से बचना है तो तुरंत शहरी विकास मॉडल में बदलाव करना होगा. स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट ड्रेनेज सिस्टम, और ग्रीन एरिया की बढ़ोतरी ही इस संकट से लड़ने के मुख्य उपाय हैं.


