ऑफिस में झपकी ले सकते हैं या नहीं? कर्नाटक HC ने सुनाया फैसला, दिए ये निर्देश
हाल ही में कर्नाटक में एक कांस्टेबल को ड्यूटी के दौरान झपकी लेने पर सस्पेंड कर दिया. अब इस मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कांस्टेबल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति लगातार 60 दिनों तक 16-16 घंटे की डबल शिफ्ट में काम करेगा, तो उसके लिए ड्यूटी के दौरान झपकी लेना स्वाभाविक है.

कर्नाटक में एक कांस्टेबल को ड्यूटी के दौरान झपकी लेना भारी पड़ गया, जब उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उसे निलंबित कर दिया गया. लेकिन इस मामले में अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने कांस्टेबल के पक्ष में फैसला सुनाया और निलंबन आदेश को रद्द कर दिया. अदालत ने माना कि कांस्टेबल को लगातार 60 दिनों तक 16-16 घंटे की दो शिफ्ट में काम करना पड़ा, जो अमानवीय था.
हाईकोर्ट ने निलंबन को बताया गलत
कल्याण कर्नाटक सड़क परिवहन निगम (KKRTC) द्वारा लिए गए निलंबन के फैसले को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने कांस्टेबल चंद्रशेखर की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा, "याचिकाकर्ता निलंबन की अवधि के लिए सेवा की निरंतरता और वेतन सहित सभी लाभों का हकदार है."
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
ड्यूटी के दौरान कांस्टेबल के सोने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद निगम ने कार्रवाई की. 1 जुलाई 2024 को उसे निलंबित कर दिया गया था. लेकिन कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति लगातार 60 दिनों तक 16-16 घंटे की डबल शिफ्ट में काम करेगा, तो उसके लिए ड्यूटी के दौरान झपकी लेना स्वाभाविक है.
अमानवीय शर्तों में काम कर रहा था कांस्टेबल
अदालत ने अपने फैसले में कहा, "अगर कांस्टेबल सिर्फ एक शिफ्ट के दौरान सोता, तो इसे कदाचार माना जाता. लेकिन इस मामले में उसे बिना ब्रेक के 60 दिनों तक लगातार दो शिफ्ट में काम करने के लिए मजबूर किया गया. इसलिए निलंबन आदेश अनुचित है."
नींद और आराम मानवाधिकारों का हिस्सा – HC
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा का हवाला देते हुए कहा कि नींद और आराम जीवन व कार्य के संतुलन के महत्वपूर्ण पहलू हैं. अगर किसी व्यक्ति को लगातार नींद से वंचित रखा जाएगा, तो वह कहीं भी सो सकता है.
क्या था पूरा मामला?
- 2016 से कांस्टेबल के पद पर कार्यरत चंद्रशेखर को KKRTC में स्टाफ की कमी के चलते ट्रांसफर कर दिया गया था.
- 23 अप्रैल 2024 को सतर्कता रिपोर्ट में बताया गया कि वह सुबह 5:45 बजे ड्यूटी के दौरान सोते हुए पाया गया.
- वीडियो के आधार पर निगम ने उससे स्पष्टीकरण मांगा, जिस पर उसने बताया कि वह बीमार था और दवा लेने के बाद 10 मिनट की झपकी ली थी.
- निगम ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए 1 जुलाई 2024 को उसे निलंबित कर दिया.
कोर्ट का फैसला कर्मचारियों के लिए राहत भरा
इस फैसले से उन कर्मचारियों को राहत मिलेगी, जो अत्यधिक काम के बोझ के कारण मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित होते हैं. हाईकोर्ट ने इस आदेश से यह साफ कर दिया कि कार्यस्थल पर अमानवीय परिस्थितियों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.


