सीपी राधाकृष्णन ने जीता उपराष्ट्रपति चुनाव, सुर्दशन रेड्डी की अगुवाई में India Bloc ने दिखाई एकजुटता
NDA प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन ने विपक्षी INDIA गठबंधन के बी. सुधर्शन रेड्डी को हराकर भारत के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए. उन्हें 452 वोट मिले जबकि रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए. 98.2% मतदान हुआ और राधाकृष्णन ने जरूरी बहुमत से जीत हासिल की. वे तमिलनाडु से तीसरे ऐसे नेता हैं जिन्होंने यह पद हासिल किया है. उनका राजनीतिक सफर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से शुरू हुआ था.

Vice President of India 2025 : देश को उसका नया उपराष्ट्रपति मिल गया है. एनडीए (NDA) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने विपक्ष के इंडिया गठबंधन (INDIA bloc) के प्रत्याशी बी. सुधर्शन रेड्डी को हराकर 15वें उपराष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है. यह चुनाव संसद में हुए मतदान के बाद संपन्न हुआ, जिसमें राधाकृष्णन को कुल 452 वोट मिले, जबकि सुधर्शन रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए. इस तरह सीपी राधाकृष्णन ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की.
कुल 781 सांसदों को वोट डालने का था अधिकार
तमिलनाडु से उपराष्ट्रपति बनने वाले तीसरे नेता
सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले तीसरे ऐसे नेता बन गए हैं, जिन्होंने देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर स्थान पाया है. वह वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे. एनडीए ने उन्हें 17 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया था. वे ओबीसी वर्ग से आते हैं और कोंगू वेल्लालर-गौंडर समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे उन्हें दक्षिण भारत में सामाजिक समर्थन भी मिला.
विपक्ष के उम्मीदवार रहे पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज
सीपी राधाकृष्णन का मुकाबला विपक्षी गठबंधन INDIA के उम्मीदवार बी. सुधर्शन रेड्डी से था, जो कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रह चुके हैं और वे भी दक्षिण भारत से ही ताल्लुक रखते हैं. हालांकि, राधाकृष्णन को एनडीए की मजबूत संख्या और सहयोगी दलों का समर्थन मिलने से निर्णायक बढ़त हासिल हुई.
लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं राधाकृष्णन
सीपी राधाकृष्णन का राजनीति में सफर काफी लंबा रहा है. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी और बाद में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए. बता दें कि वह 2 बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में वे मंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन उस समय नाम की उलझन के कारण मौका हाथ से निकल गया और दूसरे तमिल नेता पोन राधाकृष्णन को मंत्री बना दिया गया. बावजूद इसके राधाकृष्णन पार्टी में अपनी पकड़ बनाए रखी और अब देश के उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचे.
चुनाव में विपक्ष की एकजुटता भी दिखी
कांग्रेस की ओर से बताया गया कि कुल 315 विपक्षी सांसदों ने मतदान में हिस्सा लिया, जिससे विपक्ष की एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की गई. हालांकि, संख्या बल के आधार पर एनडीए उम्मीदवार की जीत पहले से ही तय मानी जा रही थी.
अनुभवी नेता को मिला देश का दूसरा सबसे ऊँचा पद
सीपी राधाकृष्णन की यह जीत न केवल एनडीए के लिए एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि दक्षिण भारत से आने वाले नेताओं को अब राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका मिल रही है. एक अनुभवी, जमीनी और संगठन से जुड़े नेता के रूप में उनकी भूमिका उपराष्ट्रपति के रूप में कितनी प्रभावशाली होगी, यह आने वाला समय बताएगा.


