दिल्ली हाईकोर्ट ने लालू यादव को दिया झटका, नौकरी के बदले जमीन मामले में खारिज की जमानत अर्जी
दिल्ली हाईकोर्ट ने लालू यादव की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने 'जमीन के बदले नौकरी' घोटाले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी. सीबीआई और ईडी इस मामले की जांच कर रहे हैं, जिसमें लालू यादव, उनकी पत्नी और बेटियाँ आरोपी हैं. सीबीआई का आरोप है कि मंत्री पद का दुरुपयोग कर रेलवे में नौकरी के बदले जमीन ली गई. अगली सुनवाई 2 जून को निर्धारित है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने 'जमीन के बदले नौकरी' घोटाले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी. यह मामला रेलवे में नौकरी के बदले उम्मीदवारों से जमीन लेने के आरोपों से जुड़ा है, जिसकी जांच सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) कर रही हैं. लालू यादव, उनकी पत्नी, दो बेटियां और कुछ अज्ञात सरकारी अधिकारी इस मामले में आरोपों का सामना कर रहे हैं.
18 मई 2022 को हुआ था मामला दर्ज
यह केस 18 मई 2022 को दर्ज किया गया था. एफआईआर में लालू यादव समेत उनके परिवार के सदस्यों और कुछ सरकारी व निजी व्यक्तियों को शामिल किया गया है. सीबीआई ने इसके बाद 2022, 2023 और 2024 में तीन अलग-अलग चार्जशीट (आरोप पत्र) दाखिल की थीं.
लालू यादव ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इन सभी एफआईआर और आरोपपत्रों को रद्द करने की मांग की थी. इसके साथ ही उन्होंने ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित संज्ञान आदेशों को भी चुनौती दी थी. अब इस केस की अगली सुनवाई निचली अदालत में 2 जून को निर्धारित है.
सिब्बल ने उठाया धारा 17ए का मुद्दा
लालू यादव की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत में दलील दी कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के अनुसार, किसी भी लोक सेवक के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले सरकारी मंजूरी लेना अनिवार्य है. सिब्बल ने अदालत से कहा, “आपने एफआईआर दर्ज करने में 14 साल का समय लिया है, फिर अब एक महीना और रुकने में क्या समस्या है? यदि आरोप तय हो गए, तो मेरा बचाव मुश्किल हो जाएगा.”
मंत्री ने पद का किया दुरुपयोग
सीबीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डीपी सिंह ने कोर्ट में दलील दी कि यह केस इसलिए गंभीर है क्योंकि इसमें लालू यादव जैसे प्रभावशाली मंत्री के करीबी लोगों ने रेलवे में नौकरी देने के बदले जमीन ली. सीबीआई के अनुसार, यह स्पष्ट रूप से सरकारी पद के दुरुपयोग का मामला है. डीपी सिंह ने कहा कि जांच एजेंसी ने धारा 19 के तहत आवश्यक अनुमति पहले ही प्राप्त कर ली है, जो इस तरह के मामलों में आरोप तय करने के लिए जरूरी होती है.


