क्या हिंदू होना गुनाह है? मुर्शिदाबाद में हिंसा पीड़ित महिलाओं की राज्यपाल से गुहार, बोली- 'हमें बचा लीजिए'
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई सांप्रदायिक हिंसा ने कई हिंदू परिवारों को बेघर कर दिया है. जाफराबाद जैसे इलाकों में महिलाएं राहत शिविरों में रह रही हैं और सुरक्षा की मांग कर रही हैं.

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा ने कई हिंदू परिवारों की जिंदगी तबाह कर दी है. जाफराबाद और आसपास के गांवों में लोग डर के साये में जी रहे हैं. महिलाएं रोते-बिलखते हुए एक ही सवाल पूछ रही हैं. क्या हिंदू होना हमारा अपराध है? इस दर्द और असुरक्षा के माहौल में पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस और राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम मौके पर पहुंची.
हिंसा के बाद कई लोग अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. बीएसएफ की स्थायी तैनाती की मांग जोर पकड़ रही है, ताकि लोगों को सुरक्षा का एहसास हो सके. महिलाएं अपनी सुरक्षा के लिए गुहार लगा रही हैं और सरकार से तत्काल कदम उठाने की अपील कर रही हैं.
राज्यपाल से बोले पीड़ित “हमें बचा लीजिए”
शुक्रवार को राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने जाफराबाद का दौरा किया और हिंसा पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. महिलाओं ने राज्यपाल के पैर पकड़कर कहा,“क्या हिंदू होना हमारा अपराध है? हमें बचा लीजिए.” राज्यपाल ने उन्हें भरोसा दिलाया-“मैं जो कुछ भी कर सकता हूं, करूंगा. शांति बनी रहनी चाहिए.”
2 मृतकों के परिजनों से भी मिले राज्यपाल
राज्यपाल हरगोविंद दास और चंदन दास के घर भी पहुंचे, जिनकी मौत इसी हिंसा में हुई थी. उन्होंने शोकसंतप्त परिवारों को सांत्वना दी और कहा कि सरकार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी.
बीएसएफ कैंप की मांग
इलाके के लोगों का एक ही आग्रह है. यहां एक स्थायी बीएसएफ कैंप बनाया जाए. धुलियान के स्थानीय लोगों ने कहा, “अगर ज़रूरत पड़ी, तो हम अपनी जमीन भी देने को तैयार हैं.” पिछले हफ्ते वक्फ कानून के विरोध के नाम पर हिंसक प्रदर्शन हुआ, जिसमें कई घर जलाए गए और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया.
महिला आयोग के सामने फूट-फूटकर रो पड़ीं महिलाएं
शनिवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम जब मुर्शिदाबाद पहुंची, तो राहत शिविरों में रह रही महिलाएं खुद को रोक नहीं सकीं. उन्होंने रोते हुए हिंसा की आपबीती सुनाई और कहा कि अभी भी डर का माहौल बना हुआ है.
महिला आयोग का भरोसा
महिला आयोग के प्रतिनिधियों ने पीड़ितों को भरोसा दिलाया 'हम आपकी रिपोर्ट केंद्र सरकार तक पहुंचाएंगे. आपकी मांगें पूरी कोशिश से आगे बढ़ाई जाएंगी.' उन्होंने कहा कि केंद्र की कई टीमें पहले ही ज़मीन पर काम कर रही हैं, और पीड़ितों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है.
मानवाधिकार आयोग को बोलने नहीं दिया गया
मालदा के शरणार्थी शिविर में शुक्रवार को जब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम पहुंची, तो कथित तौर पर उन्हें पीड़ितों से बातचीत की अनुमति नहीं दी गई. इसके चलते पूरे दिन तनाव का माहौल रहा.
हिंसा थमी है, लेकिन डर बाकी है
फिलहाल इलाके में हिंसा रुकी हुई है, लेकिन भय का साया अब भी मंडरा रहा है. जले हुए घर, टूटी हुई दीवारें और पीड़ितों की आंखों में डर यह सब कुछ बयान कर रहा है कि ज़मीन पर शांति आने में अभी वक्त लगेगा.


