धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति पद की होड़ तेज, नए उत्तराधिकारी की तलाश शुरू
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने कार्यकाल के मात्र तीन साल पूरे होने पर स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अप्रत्याशित रूप से इस्तीफा दे दिया. उनके अचानक इस्तीफे से एनडीए को आश्चर्य हुआ, जिसे अब उत्तराधिकारी चुनना होगा. इसके साथ ही राजनीतिक गलियारों में नए उपराष्ट्रपति को लेकर चर्चाएं भी तेज हो गई है.

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस फैसले ने न सिर्फ सरकार को चौंका दिया, बल्कि अब उनके उत्तराधिकारी की तलाश भी शुरू हो गई है.
खबर से गठबंधन को झटका
आपको बता दें कि धनखड़ के इस्तीफे की सूचना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के लिए एक अप्रत्याशित झटका रही. एनडीए को संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – में बहुमत प्राप्त है. अब गठबंधन को जल्द ही उपराष्ट्रपति के नए उम्मीदवार पर विचार करना होगा.
संभावित उम्मीदवारों की चर्चा शुरू
राज्यसभा उपसभापति हरिवंश भी रेस में
जनता दल (यूनाइटेड) के राज्यसभा सांसद हरिवंश, जो वर्तमान में उपसभापति हैं, का नाम भी संभावितों में शामिल है. वे 2020 से इस पद पर हैं और सरकार के भरोसेमंद माने जाते हैं. एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “हम इस निर्णय की प्रक्रिया में हैं, लेकिन मुझे लगता है कि पार्टी एक भरोसेमंद, शांत और अनुभवी नेता को चुनेगी.”
विपक्ष से लगातार टकराव में रहे धनखड़
धनखड़ का कार्यकाल तीन वर्षों का रहा और इस दौरान उन्होंने राज्यसभा में कई बार विपक्ष के साथ तीखे संवाद किए. कई बार उन्होंने संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर बयान दिए, जिससे सरकार भी असहज हो गई थी.
स्वास्थ्य कारणों से दिया इस्तीफा
74 वर्षीय धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपते हुए कहा, “स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूँ.” वे अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति बने थे और उनका कार्यकाल 2027 तक था. उन्होंने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन इस्तीफा दिया.
न्यायाधीश यशवंत वर्मा को लेकर चर्चा
धनखड़ के इस्तीफे से कुछ घंटे पहले ही राज्यसभा में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम हुआ था. विपक्ष की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा को हटाने के लिए एक प्रस्ताव लाया गया था, जिसे धनखड़ ने सदन में रखा. इसी मुद्दे पर लोकसभा में सरकार और विपक्ष के बीच सहमति बनी थी, लेकिन राज्यसभा की स्थिति से सरकार को झटका लगा.
अब आगे क्या?
अब जबकि उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो गया है, केंद्र सरकार और एनडीए को जल्द ही नया नाम तय करना होगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा किन विकल्पों पर विचार करती है – एक शांत नेतृत्वकर्ता, अनुभवी संगठनकर्ता या फिर कोई नया चेहरा.


