कई युद्धों का मोड़ा रुख, 62 साल तक की देश सेवा...अब भारतीय सेना इस फाटर जेट को करने जा रही रिटायर
भारतीय वायु सेना सितंबर 2025 में मिग-21 लड़ाकू विमानों को रिटायर कर तेजस Mk1A विमानों को तैनात करेगी. मिग-21, जो 1963 से भारतीय वायुसेना का हिस्सा रहा है, अपनी पुरानी तकनीक और उच्च दुर्घटना दर के कारण आलोचनाओं का शिकार था. तेजस Mk1A अत्याधुनिक तकनीक और बेहतर सुरक्षा के साथ भारतीय वायु रक्षा को नया मुकाम देगा.

भारतीय वायु सेना सितंबर 2025 में रूस निर्मित मिग-21 लड़ाकू विमानों के शेष स्क्वाड्रनों को आधिकारिक रूप से सेवानिवृत्त करने वाली है. यह विमान दशकों तक भारतीय वायु सेना का अभिन्न हिस्सा रहे हैं, लेकिन अब इनकी जगह स्वदेशी रूप से विकसित तेजस Mk1A लड़ाकू विमानों को लिया जाएगा. भारतीय वायु सेना के अधिकारियों के मुताबिक, वर्तमान में मिग-21 विमानों का संचालन राजस्थान के नाल एयरबेस से किया जा रहा है और इन्हें तेजस Mk1A से बदलने की प्रक्रिया चल रही है.
मिग-21 का इतिहास
मिग-21 विमान भारतीय वायु सेना की रीढ़ रहे हैं. इन विमानों ने 1963 में भारतीय वायु सेना में अपनी सेवा शुरू की थी और तब से लेकर अब तक कई युद्धों में भाग लिया. मिग-21 भारतीय वायु सेना का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था और इसने भारत-पाकिस्तान युद्धों सहित कई अन्य महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारतीय वायु सेना में इन विमानों की एक प्रमुख पहचान बनी रही है.
हालांकि, मिग-21 के कई युद्धों में योगदान और लंबी सेवा के बावजूद, इसकी तकनीकी कमजोरियों और उच्च दुर्घटना दर के कारण ये लगातार आलोचना के दायरे में रहे हैं. विशेषकर, अपनी पुरानी तकनीक और खराब इंजन प्रदर्शन के कारण मिग-21 विमान दुर्घटनाओं का शिकार होते रहे, जिसे लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं.
"उड़ता ताबूत" के नाम से कुख्यात
मिग-21 विमानों का "उड़ता ताबूत" के रूप में कुख्यात होना इस विमान की दुर्घटना दर का संकेत है. पिछले कुछ दशकों में मिग-21 के लगभग 400 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं, जिनमें से कई दुर्घटनाएं विमान की पुरानी तकनीक, इंजन में खराबी और खराब सेवाक्षमता के कारण हुईं. इन घटनाओं ने भारतीय वायु सेना की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया और इसे हटाने का निर्णय लिया गया.
तेजस Mk1A का युग
मिग-21 के इन स्थायी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए भारतीय वायु सेना अब तेजस Mk1A लड़ाकू विमान को मिग-21 की जगह तैनात करने जा रही है. तेजस, जो भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है, भारतीय वायु सेना के लिए एक नया युग लेकर आएगा. यह विमान अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है और इसकी युद्ध क्षमता मिग-21 से कहीं बेहतर है. तेजस Mk1A का मुख्य लाभ इसकी उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स और बेहतर इंजन प्रणाली है, जो अधिक सुरक्षा और उच्च प्रदर्शन की गारंटी देती है.
मिग-21 की विदाई
सितंबर 2025 में मिग-21 का रिटायरमेंट भारतीय वायु सेना के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा. इस विमान ने कई युद्धों में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन उसकी पुरानी तकनीक और दुर्घटना दर ने इसे अब सेवानिवृत्त करने के निर्णय को मजबूर कर दिया है. हालांकि, मिग-21 की विदाई के साथ भारतीय वायु सेना को नए और सक्षम तेजस Mk1A विमानों के रूप में एक शक्तिशाली उत्तराधिकारी मिलेगा, जो देश की वायु रक्षा के लिए एक नई दिशा में अग्रसर करेगा.


