धर्मस्थल मंदिर पर विवाद की आंधी, असल निशाना गरीबी के सौदागरों को चुनौती देने वाली ताकत
कर्नाटक का धर्मस्थल मंदिर दशकों से गरीबों की मदद और सामाजिक बदलाव का केंद्र रहा है, लेकिन हालिया विवाद के पीछे ताकतवर गिरोहों के मुनाफे पर चोट की साजिश बताई जा रही है।

National News: कर्नाटक का धर्मस्थल मंदिर सिर्फ इबादतगाह नहीं, बल्कि लाखों गरीबों की जिंदगी बदलने वाला सहारा है। लेकिन हालिया विवाद ने इसकी साख पर सवाल खड़े किए हैं, जिसके पीछे बड़े फायदे खो चुके ताकतवर गिरोहों का हाथ माना जा रहा है। धर्मस्थल मंदिर सदियों से सिर्फ पूजा का स्थान नहीं, बल्कि भूखों को खाना, कर्ज से मुक्ति, नशा मुक्ति और शिक्षा देने वाला केंद्र रहा है। लेकिन एक अफवाह ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी, जिससे मंदिर की प्रतिष्ठा पर चोट पहुंची। एक बिना सबूत का आरोप वायरल होते ही यूट्यूब चैनल, पोस्ट और वीडियो ने इसे सनसनी बना दिया। कई जगहों पर बिना जांच किए खबर फैलाई गई, जिससे मंदिर की इमेज खराब करने की कोशिश साफ दिखी।
गरीबों का सहारा बना मंदिर
श्री क्षेत्र धर्मस्थल ग्रामीण विकास परियोजना ने हजारों गरीब परिवारों को 60% ब्याज वाले सूदखोरों से बचाकर 12% पर लोन दिए। इससे कई कर्ज जाल खत्म हुए, लेकिन यही कदम कई मनीलेंडर्स के लिए घाटे का सौदा बन गया। गांव-गांव जाकर मंदिर के स्वयंसेवक लोगों को बिना डर अपनी जरूरतें पूरी करने का हौसला देते हैं। कई परिवार जिन्होंने अपनी जमीन कर्ज में खो दी थी, उन्हें दोबारा खड़ा होने का मौका मिला। यह मदद सिर्फ पैसों तक सीमित नहीं रही, बल्कि लोगों के आत्मसम्मान को भी वापस लौटा लाई।
नशा मुक्ति की जंग
जना जागृति वेदिके मुहिम ने अब तक 1.3 लाख लोगों को नशा छुड़वाया और शराब माफियाओं के मुनाफे पर चोट की। कई गांवों में शराब की खपत घटी, जिससे शराब कारोबारियों में नाराजगी फैली। मंदिर के कार्यकर्ता घर-घर जाकर नशे के नुकसान के बारे में बताते हैं और लोगों को स्वास्थ्य शिविरों में लाते हैं। नशा छोड़ने के बाद कई युवाओं ने नई नौकरियां शुरू कीं और अपने परिवार को खुशहाल बनाया। इस मुहिम से गांव का माहौल बदला और परिवारों में सुख-शांति लौटी।
मजहबी सियासत पर असर
मंदिर की शिक्षा और रोज़गार योजनाओं ने गरीबों को आत्मनिर्भर बनाया, जिससे जबरन मजहबी बदलाव की कोशिशें कमजोर हुईं। इससे उन नेटवर्क्स को नुकसान हुआ जो गरीबी और लाचारी का फायदा उठाते थे। गरीब परिवार जब पढ़ाई और रोजगार पाते हैं, तो वे अपने फैसले खुद लेने लगते हैं। कई इलाकों में लड़कियों को पढ़ाने की नई लहर चली, जिससे सामाजिक बदलाव तेज हुआ। आत्मनिर्भरता ने लोगों को न सिर्फ आर्थिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बना दिया।
साजिश का नया गठजोड़
सूदखोर, शराब माफिया और मजहबी नेटवर्क अब एक साथ दिखते हैं। इनकी कोशिश है मंदिर की छवि खराब कर उस ताकत को कमजोर करना जिसने उनके मुनाफे की जड़ें हिला दी हैं। आरोप लगाने के लिए सोशल मीडिया और अफवाहों का सहारा लिया जा रहा है। बिना जांच के बनाई गई कहानियां लोगों के बीच डर और शक फैलाने के लिए फैलाई जाती हैं। लेकिन जो लोग मंदिर का असली काम जानते हैं, वे इन झूठों को तुरंत पहचान लेते हैं।
सच्चाई और इंसाफ की लड़ाई
धर्मस्थल मंदिर पर हमला सिर्फ एक संस्था पर नहीं, बल्कि उस मॉडल पर है जिसने 23 लाख से ज्यादा लोगों को गरीबी से निकाला है। सवाल ये है कि ये इंसाफ की लड़ाई है या विकास को रोकने की साजिश। गरीबों के चेहरे पर आई मुस्कान इस काम की सबसे बड़ी गवाही है। जब मदद से किसी का जीवन बदलता है, तो वही सच्चा धर्म है। ऐसे में मंदिर पर आरोप लगाना सिर्फ सेवा की जड़ें कमजोर करने की कोशिश है।


