score Card

दिल्ली ब्लास्ट: 4 लाख से ज्यादा सैलरी और अव्वल दर्जे का काम, फिर क्यों आतंक की राह पर चल पड़ा डॉ. आदिल

पढ़ाई में बेहद होशियार आदिल ने स्कूल में गणित विषय में 99 और साइंस में 98 अंक हासिल किए थे. वह MBBS और MD दोनों डिग्रियां अव्वल दर्जे में पास कर चुका था और 2022 में अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर था. बाद में वह सहारनपुर चला गया, जहां उसकी प्रतिभा देखकर फेमस मेडिकेयर अस्पताल ने उसे पांच गुना ज्यादा वेतन पर नौकरी दी.

Anuj Kumar
Edited By: Anuj Kumar

नई दिल्ली: पहले आतंकी संगठन ज्यादातर कम पढ़े-लिखे और बेरोजगार युवाओं को अपने जाल में फंसाते थे, लेकिन अब उनकी रणनीति बदल गई है. हाल ही में सामने आया 'व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल' इसका बड़ा उदाहरण है. 10 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के पास जो कार ब्लास्ट हुआ था, उसके पीछे भी इसी तरह के शिक्षित पेशेवरों का समूह था. इसमें डॉक्टर, इंजीनियर और प्रोफेसर जैसे पढ़े-लिखे लोगों के नाम सामने आए. इस मॉड्यूल में हर व्यक्ति को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई थी- किसी ने योजना बनाई, किसी ने तकनीकी मदद दी और किसी ने सीधे हमला किया.

कार ब्लास्ट से देश को हिलाकर रख दिया

10 नवंबर को हुए इस धमाके में करीब 15 लोगों की मौत हो गई थी, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया. जांच एजेंसियों ने जब तफ्तीश आगे बढ़ाई तो पता चला कि i20 कार में विस्फोटक भरकर फिदायीन हमला करने वाला कोई आम व्यक्ति नहीं, बल्कि प्रशिक्षित डॉक्टर उमर था. इसके अलावा इस पूरे मॉड्यूल में शामिल कई और लोग भी उच्च शिक्षित डॉक्टर थे.

पढ़ाई में बेहद होशियार था आदिल

इनमें एक नाम डॉ. आदिल अहमद राठर का भी शामिल है. पढ़ाई में बेहद होशियार आदिल ने स्कूल में गणित विषय में 99 और साइंस में 98 अंक हासिल किए थे. वह MBBS और MD दोनों डिग्रियां अव्वल दर्जे में पास कर चुका था और 2022 में अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर था. बाद में वह सहारनपुर चला गया, जहां उसकी प्रतिभा देखकर फेमस मेडिकेयर अस्पताल ने उसे पांच गुना ज्यादा वेतन पर नौकरी दी.

उर्दू और कश्मीरी वीडियो देखता था

अस्पताल प्रबंधक मनोज मिश्रा आज भी विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि इतना पढ़ा-लिखा और कुशल डॉक्टर आतंकी गतिविधियों में कैसे शामिल हो सकता है. वहीं, वी-ब्रॉस अस्पताल की वाइस प्रेसिडेंट डॉ. ममता के अनुसार, आदिल बेहद समयनिष्ठ था और मरीजों के प्रति उसका व्यवहार अच्छा रहता था. वह कम बोलने वाला और एकांत में रहने वाला व्यक्ति था. खाली समय में वह अपने टैबलेट पर उर्दू और कश्मीरी वीडियो देखता था और किसी के आने पर तुरंत स्क्रीन बंद कर देता था.

स्वभाव से कंजूस था आदिल

डॉ. ममता ने बताया कि आदिल काफी कंजूस था. चार लाख रुपये से अधिक कमाने के बावजूद वह सस्ती जींस पहनता, ऑटो से सफर करता और अपनी तनख्वाह को दान करने का दावा करता था. सिर्फ साढ़े तीन महीने बाद ही वह बिना नोटिस दिए नई नौकरी पर चला गया. अब बड़ा सवाल यह है कि आतंकी संगठन ऐसे पढ़े-लिखे पेशेवरों को कैसे अपने प्रभाव में ले रहे हैं? पहले जो संगठन कम पढ़े-लिखे युवाओं का ब्रेनवॉश करते थे, अब वही उच्च शिक्षा प्राप्त डॉक्टरों और इंजीनियरों को आतंक की राह पर ले जा रहे हैं. यह प्रवृत्ति सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक नई और गंभीर चुनौती बन गई है.
 

calender
19 November 2025, 06:56 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag