Myntra पर लगा 1654 करोड़ के हेरफेर का आरोप, ED ने शुरू की जांच
ED की इस बड़ी कार्रवाई पर अब तक मिंत्रा या उसकी मूल कंपनी की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. हालांकि, यह मामला ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा FDI नियमों के अनुपालन पर बढ़ते सरकारी सख्ती का संकेत देता है.

Big action Of ED On Myntra: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भारतीय फैशन ई-कॉमर्स कंपनी मिंत्रा डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड और इसकी सहयोगी कंपनियों के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है. एजेंसी ने कंपनी पर 1,654.35 करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नियमों के कथित उल्लंघन का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया है. यह कार्रवाई बेंगलुरु स्थित क्षेत्रीय कार्यालय की जांच के बाद की गई, जिसमें मिंत्रा के संचालन को भारत की FDI नीति के विपरीत पाया गया.
जांच एजेंसी के मुताबिक, मिंत्रा ने 'थोक कैश एंड कैरी' मॉडल के तहत एफडीआई प्राप्त किया, लेकिन असल में कंपनी मल्टी-ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग (MBRT) में संलग्न थी. इस प्रकार, मिंत्रा ने जानबूझकर भारत में एफडीआई से जुड़े नियमों को दरकिनार करते हुए B2C कारोबार को B2B लेनदेन की आड़ में अंजाम दिया.
थोक व्यापार की आड़ में प्रत्यक्ष खुदरा बिक्री
ED ने अपनी जांच में पाया कि मिंत्रा ने थोक व्यापार के बहाने ₹1,654.35 करोड़ का एफडीआई हासिल किया. लेकिन वास्तव में, कंपनी ने माल की 100% बिक्री मेसर्स वेक्टर ई-कॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड को मिंत्रा के ही कॉर्पोरेट समूह की एक सहयोगी इकाई है. इस बिक्री के बाद वेक्टर ने उपभोक्ताओं तक उत्पादों की आपूर्ति की, जो सीधे तौर पर मल्टी-ब्रांड रिटेल के अंतर्गत आता है.
ED के अनुसार,
यह संरचना जानबूझकर प्रत्यक्ष B2C लेनदेन को दो चरणों में विभाजित करने के लिए बनाई गई थी. पहले मिंत्रा और वेक्टर के बीच B2B और फिर वेक्टर और ग्राहकों के बीच B2C जिससे एफडीआई नियमों के तहत मल्टी-ब्रांड रिटेल पर लगे प्रतिबंधों को प्रभावी ढंग से दरकिनार किया जा सके."
FDI पॉलिसी का उल्लंघन
भारत सरकार की एफडीआई नीति के अनुसार, थोक मॉडल पर काम करने वाली कंपनियां अपने माल का अधिकतम 25% ही संबंधित कंपनियों को बेच सकती हैं. लेकिन मिंत्रा ने इस नियम का उल्लंघन करते हुए अपनी सम्पूर्ण बिक्री वेक्टर को कर दी, जिससे तय सीमा से कहीं अधिक का व्यापार संबंधित कंपनी को ट्रांसफर किया गया. 1 अप्रैल, 2010 से 1 अक्टूबर, 2010 के एफडीआई नीति संशोधनों के तहत, यह सीमा स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई थी, लेकिन मिंत्रा ने इसका पालन नहीं किया.
FEMA की धारा 6(3)(B) के तहत मामला दर्ज
जांच के निष्कर्षों के आधार पर, ईडी ने पाया कि मिंत्रा डिज़ाइन्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य संबंधित संस्थाएं फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA), 1999 की धारा 6(3)(B) और समेकित एफडीआई नीति के प्रासंगिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रही थीं. एजेंसी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, 'इन निष्कर्षों के आधार पर, अब फेमा की धारा 16(3) के अंतर्गत शिकायत दर्ज की गई है ताकि आगे की कानूनी कार्रवाई की जा सके.


