Explainer : बिहार की सत्ता में नीतीश की सियासत कितनी भारी; कब दिया किसका साथ और कब-कब पलटी मारी?

Bihar Floor Test: बिहार में सोमवार को फ्लोर टेस्ट है इससे पहले सभी राजनीतिक दल अपने-अपने विधायकों को एकजुट कर रहे हैं. नीतीश कुमार सत्ता के लिए पाला बदलने में माहिर हैं. कब- कब पाला बदला जानते हैं.

Pankaj Soni
Pankaj Soni

हाइलाइट

  • 1996 के लोकसभा चुनावों में नीतीश की समता पार्टी और भाजपा ने मिलकर लड़ा था चुनाव.
  • 2000 में नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए एनडीए का नेता चुना गया.
  • 2013 में नीतीश कुमार ने बिहार में भाजपा के साथ 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया.

Floor Test In Bihar: बिहार विधानसभा में कल सोमवार, (12 फरवरी) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की असली परीक्षा होगी, जब वो फ्लोर टेस्ट का सामना करेंगे. इसके लिए सभी राजनीतिक दल अपने-अपने विधायकों को एकजुट करने की कोशिश में लगे हैं. इसके लिए पटना में मंत्री विजय चौधरी के आवास पर जेडीयू विधायकों की बड़ी बैठक चल रही है, वहीं दूसरी ओर बिहार पूर्व डिप्टी डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपने आवास पर आरजेडी के सभी विधायकों को शनिवार से ही रोक रखा है. 

आज हम आपको नीतीश कुमार के पाला बदल खेल के बारे में बता रहे हैं, साथ ही उनके राजनीतिक सफर के बारे में बता रहे हैं. आइए जानते हैं...

जदयू के सफर की शुरुआत 

नीतीश कुमार पहले जनता दल में हुआ करते थे, लेकिन साल 1994 में जॉर्ज फर्नांडिस और नीतीश कुमार ने इससे अलग होकर समता पार्टी की शुरुआत की. 1996 के लोकसभा चुनावों में समता पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन किया और चुनाव लड़ी. समता पार्टी को इस लोकसभा चुनाव में 08 सीटों पर जीत मिली. पार्टी को छह सीटें बिहार में और एक-एक सीट उत्तर प्रदेश और ओडिशा में मिलीं. इस सफलता के बाद 1998 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में समता पार्टी ने 12 सीटें जीतीं. अबकी बार बिहार में 10 और उत्तर प्रदेश से 2 सीटें मिलीं. 


2000 में बिहार के सीएम के लिए नीतीश का नाम आया सामने 

साल 2000 के मार्च महीने में नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए एनडीए का नेता चुना गया. उन्होंने केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. 324 सदस्यीय सदन में एनडीए और सहयोगी दलों के पास 151 विधायक थे जबकि लालू प्रसाद यादव के पास 159 विधायक थे. दोनों गठबंधन बहुमत के आंकड़े यानी 163 से कम थे. सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाने के चलते नीतीश ने इस्तीफा दे दिया. महज 7 दिन बाद ही नीतीश सत्ता से बेदखल हो गए. साल 2003 में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली समता पार्टी का जनता दल में विलय हो गया। विलय की गई इकाई को जनता दल (यूनाइटेड) नाम मिला और राज्य में एक नई पार्टी अस्तित्व में आई.

2005: नीतीश बन गए सत्ता का केंद्र

साल 2005 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव के लिए पहली बार भाजपा और जदयू को चुनावी सफलता मिला. 243 सदस्यीय विधानसभा में इस चुनाव में भाजपा ने 55 सीटें जबकि जदयू ने 88 सीटें जीतीं. राजद के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को हराने के बाद जदयू नेता नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन को बड़ी सफलता मिली. 40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में जदयू 25 और भाजपा 15 सीटों पर चुनाव लड़ी. इनमें से 32 सीटों पर इस गठबंधन को सफलता मिली. भाजपा के 15 में से 12 उम्मीदवार जीतने में सफल रहे. वहीं, जदयू के 25 में से 20 उम्मीदवार जीतकर लोकसभा पहुंचे.

2010 : विधानसभा में भाजपा-जदयू गठबंधन हुआ मजबूत 

साल 2010 में बिहार विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में भाजपा-जदयू ने फिर मिलकर चुनाव लड़ा और सफलता मिली. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में भाजपा-जदयू गठबंधन को 206 सीटों पर जीत मिली. जदयू ने 115 सीटें तो भाजपा ने 91 सीटें जीतीं. इस जीत के साथ नीतीश एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए. लालू यादव की पार्टी राजद को महज 22 सीट से संतोष करना पड़ा, जबकि, केंद्र की सत्ता में बैठी कांग्रेस 4 सीटों पर सिमट गई.
 

फिर नीतीश ने एनडीए का साथ छोड़ दिया

साल 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले देश की राजनीति में बड़ा बदलाव हुआ. 2014 के आम चुनाव के लिए भाजपा ने अपनी चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बना दिया. इस फैसले के विरोध में नीतीश कुमार ने बिहार में भाजपा के साथ 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया. जदयू अध्यक्ष शरद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जून 2013 को एक संवाददाता सम्मेलन में गठबंधन खत्म करने की घोषणा कर दी.  


2014 में जदयू को लगा झटका 

2013 में बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद भी नीतीश की पार्टी बिहार में सरकार में बनी रही. उनकी पार्टी की सरकार को राजद और कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया. लेकिन लोकसभा चुनाव में इन दलों के साथ मिलकर नीतीश ने चुनाव नहीं लड़ा. उनकी पार्टी राज्य की 40 में से 38 सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन जीत केवल 2 सीटों पर मिली. वहीं, भाजपा ने लोजपा, रालोसपा जैसे दलों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा. यह गठबंधन 31 सीटें जीतने में सफल रहा. इसमें भाजपा ने 22 सीटें, लोजपा ने 6 और उपेंद्र कुशवाहा वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने 3 सीटें जीतीं. 2014 में भाजपा के प्रचंड बहुमत से चुनाव जीतने के बाद नीतीश ने जेडीयू की हार की जिम्मेदारी ली और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद जीतम राम मांझी को सीएम नियुक्त किया गया. मई 2014 में लालू यादव की पार्टी राजद और कांग्रेस ने जदयू का समर्थन किया और विधानसभा में बहुमत परीक्षण में सफल रहे. इस तरह से जदयू, कांग्रेस और राजद ने महागठबंधन का गठन किया. 


2015: महागठबंधन में पहला चुनाव और सफलता 

2014 में महागठबंधन बनाने के बाद 2015 में बिहार विधानसभा के चुनाव हुए. बिहार में महागठबंधन के तहत राजद ने 80 सीटों पर, जदयू ने 71 सीटों पर और कांग्रेस ने 27 सीटों पर जीत दर्ज की. उधर भाजपा महज 53 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी. इसके साथ नीतीश कुमार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बने और तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री चुना गया. गठबंधन में राजद के महत्व से असंतुष्ट नीतीश 2016 में फिर से सुर्खियों में आए. एक बार फिर उनका झुकाव भाजपा की नोटबंदी और जीएसटी संबंधी नीतियों की ओर हुआ. जबकि गठबंधन में शामिल दलों ने इसका विरोध किया. इसी बीच सीबीआई द्वारा लालू यादव और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज करने के बाद उनके गठबंधन से निकलने का रास्ता बन गया.

2017: नीतीश ने आरजेडी के साथ महागठबंधन तोड़ दिया  

नीतीश ने गठबंधन में शामिल तेजस्वी यादव का इस्तीफा मांग लिया, जिनका नाम सीबीआई के आरोप-पत्र में आया था. हालांकि, लालू यादव ने इनकार कर दिया और नीतीश अपनी सियासी यात्रा में एक बार फिर भाजपा की ओर मुड़ गए. जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने 20 महीने पुराने महागठबंधन वाली सरकार को समाप्त करते हुए, बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपना इस्तीफा दे दिया. 27 जुलाई 2017 को उन्होंने फिर से भाजपा के समर्थन से बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जदयू और भाजपा साथ लड़े. बिहार की कुल 40 सीटों में से एनडीए ने 39 सीटें जीत लीं. जहां भाजपा के 17 उम्मीदवार जीते तो जदयू के 16 प्रत्याशी विजयी हुए. इसके अलावा लोजपा ने 6 सीटें जीतीं. 


2020: एनडीए सरकार बनी, मुखिया नीतीश बने

2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा जदयू ने एक साथ चुनाव लड़ा. इस चुनाव में भाजपा ने 74 सीटों पर और जदयू ने 43 सीटों पर जीत दर्ज की. इसके साथ ही जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के साथ मिलकर सरकार बनी जिसके मुखिया नीतीश कुमार बने. वहीं, भाजपा की तरफ से तारकिशोर प्रसाद और रेणू देवी के रूप में दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए. 


2022: फिर महागठबंधन के साथ नीतीश कुमार

नीतीश ने बिहार में दो डिप्टी सीएम की नियुक्ति पर असंतोष के बीच भाजपा के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर आपत्ति जताई. कई मतभेदों के बाद 9 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार ने घोषणा की कि बिहार विधानसभा में भाजपा के साथ जदयू का गठबंधन खत्म हो गया है. उन्होंने दावा किया कि बिहार में नई सरकार, राजद और कांग्रेस सहित नौ पार्टियों का गठबंधन महागठगंधन 2.0 होगी. जदयू भाजपा से नाता तोड़कर राजद के साथ मिल गई और नीतीश फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बन गए. इसके साथ ही राजद से तेजस्वी यादव राज्य के उप मुख्यमंत्री बने. अब 2024 में एक बार फिर नीतीश कुमार एनडीएम में शामिल होकर बिहार में सराकर बनाने के लिए आमादा हैं.

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28 January 2024, 11:21 AM IST

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