हिमाचल में बाढ़ का कहर, 69 लोगों की मौत, बेघरों को मिलेंगे 5 हजार रुपये
हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूखलन ने भारी तबाही मचा रखा है. जिसमे 69 लोगों की मौत हो चुकी है.प्रदेश को मुख्यमंत्री राहत और बचाव कार्य पर कड़ी नजर रख रहे हैं. सरकार ने आपदा से ग्रस्त परिवारों को सहर महीने 5 हजार रूपये और राशन देने की घोषणा की है.

Himachal Flood 2025: हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश और बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, बल्कि कई परिवारों को घर से बेघर कर दिया और अब तक 69 लोगों की जान ले चुकी है. राज्य सरकार ने प्रभावित लोगों के लिए तत्काल राहत और पुनर्वास के प्रयास शुरू कर दिए हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रभावित परिवारों के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि बेघर हुए लोगों को तत्काल राहत के रूप में 5,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी.
बारिश और बाढ़ का कहर
हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश के कारण नदियां उफान पर हैं. जिससे बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई हैं. सड़कें, पुल और घर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे कई गांवों का संपर्क मुख्य क्षेत्रों से टूट गया है. इस आपदा ने विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है.
69 लोगों की दुखद मौत
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 69 लोगों की मौत हो चुकी है. कई लोग अभी भी लापता हैं. और बचाव दल प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में जुटे हुए हैं. बाढ़ और भूस्खलन के कारण कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया, जिससे पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है.
राहत और बचाव कार्य तेज
राज्य सरकार और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के साथ मिलकर स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा हुआ है. प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, पानी, और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. इसके अलावा, सड़कों और बुनियादी ढांचे को जल्द से जल्द बहाल करने के लिए भी काम शुरू हो चुका है.
चुनौतियों से जूझता हिमाचल
हिमाचल प्रदेश में बार-बार होने वाली प्राकृतिक आपदाएं राज्य के लिए बड़ी चुनौती बन रही हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाएं और बढ़ सकती हैं. सरकार और स्थानीय समुदायों को मिलकर ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं पर काम करने की आवश्यकता है.