भारत से लूटे गए मुगलों के बेशकीमती खजाने अब किसके पास हैं? जानिए अनमोल हीरों की पूरी कहानी

मुगल काल के अनमोल हीरे-जवाहरात आज भारत में नहीं, बल्कि विदेशी शाही संग्रहों की शोभा बने हुए हैं. ये धरोहरें भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक वैभव की निशानी हैं, जिन्हें पहचानना और सहेजना आज भी बेहद जरूरी है.

भारत की मिट्टी सदियों से सोना, चांदी और कीमती रत्नों की जननी रही है. खासकर मुगल काल में तो इन खजानों की चमक पूरी दुनिया में मशहूर थी. मुगलों के दौर में ना केवल भव्य किलों और मकबरों का निर्माण हुआ, बल्कि हीरे-जवाहरातों का ऐसा संग्रह खड़ा हुआ, जो आज भी दुनिया के सबसे कीमती संग्रहों में गिना जाता है. लेकिन इन नायाब धरोहरों का बेशुमार हिस्सा आज भारत से बाहर है- कहीं ताज के हिस्से के रूप में तो कहीं रॉयल कलेक्शनों में.

आज हम आपको ले चलते हैं इतिहास के उन पन्नों में, जहां मुगलों के खजानों की कुछ ऐसी अनमोल निशानियां छिपी हैं, जो आज भी विदेशी शाही परिवारों और संग्रहालयों की शोभा बनी हुई हैं.

1. तैमूर रुबी:

तैमूर रुबी नाम सुनकर लगता है जैसे कोई चमकदार रूबी होगी, लेकिन हकीकत में यह एक गहरे लाल रंग का रत्न है, जिसे उस समय रुबी समझ लिया गया था. इसका वजन करीब 350 कैरट है. इस पर मुगल बादशाह शाहजहां और औरंगजेब के नाम खुदे हुए हैं. आज यह ब्रिटिश क्राउन ज्वेल्स का हिस्सा है और महारानी के ताज की शान बन चुका है.

2. मयूर सिंहासन:

शाहजहां द्वारा बनवाया गया मयूर सिंहासन (Peacock Throne) मुगल वैभव का प्रतीक था. इसे हीरे, सोने, रूबी और मोतियों से सजाया गया था. सिंहासन के शीर्ष पर एक भव्य मोर बना हुआ था. 1739 में नादिर शाह ने दिल्ली पर आक्रमण के दौरान इसे लूट लिया. बाद में यह सिंहासन कई हिस्सों में बंट गया और इतिहास के अंधेरे में खो गया.

3. द ग्रेट मुगल डायमंड: 

करीब 70 कैरट का यह हीरा कभी मयूर सिंहासन का हिस्सा हुआ करता था. इसकी खासियत थी कि इस पर अरबी में अकबर, जहांगीर और शाहजहां के नाम खुदे हुए थे. लेकिन ब्रिटिश कब्जे के बाद एक ब्रिटिश ज्वेलर ने इसे काटकर उन ऐतिहासिक नामों को हमेशा के लिए मिटा दिया.

4. कोहिनूर की तरह बेशकीमती:

दरिया-ए-नूर, यानी रोशनी का समंदर, भी गोलकुंडा खान से निकला एक बेशकीमती हीरा था. इसका वजन लगभग 100 कैरट है. इसे भी नादिर शाह भारत से लूट कर ले गया था. अब यह भी विदेशी शाही संग्रह का हिस्सा है. इसकी चमक और ऐतिहासिक महत्ता किसी भी दृष्टि से कोहिनूर से कम नहीं मानी जाती.

5. गोलकुंडा डायमंड्स: 

गोलकुंडा की खानों से निकले कई अन्य कीमती हीरे और जवाहरात मुगलों के खजानों में शुमार थे. इनमें से कुछ बाद में ब्रिटिश ताज का हिस्सा बन गए, तो कुछ नीलामी के जरिए निजी विदेशी कलेक्शन में शामिल हो गए.

भारत का इतिहास केवल राजाओं और युद्धों का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और भौतिक वैभव का भी रहा है. दुर्भाग्य से, मुगलों के खजानों की ये अनमोल निशानियां अब भारत में नहीं हैं. इनका लौटना तो शायद मुमकिन नहीं, लेकिन इन्हें जानना, पहचानना और उनकी विरासत को सहेजना आज भी जरूरी है.

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04 July 2025, 04:48 PM IST

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