रिटायरमेंट के बाद भी बंगले में रह रहे पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने खाली किया सरकारी आवास, जानिए कहां होगा नया ठिकाना
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने नई दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास खाली कर दिया है. वह 8 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन दिव्यांग बेटियों की जरूरतों के चलते तय समय से अधिक वहां रहे. उन्होंने स्पष्ट किया कि नए घर में शिफ्ट होने की प्रक्रिया पहले से चल रही थी. सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इस मुद्दे पर केंद्र को पत्र भेजा था.

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने नई दिल्ली में स्थित सर्वोच्च न्यायालय के आधिकारिक आवास को खाली कर दिया है. 8 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हुए जस्टिस चंद्रचूड़ देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश थे. सेवानिवृत्ति के बाद भी वह तय समय से अधिक समय तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के सरकारी बंगले, 5 कृष्ण मेनन मार्ग, में रह रहे थे, जिसको लेकर हाल ही में एक विवाद खड़ा हो गया था.
परिवार के साथ रह रहे थे बंगले में
जस्टिस चंद्रचूड़ अपनी पत्नी कल्पना और बेटियों प्रियंका व माही के साथ उस सरकारी आवास में रह रहे थे. उनकी दोनों बेटियां दिव्यांग हैं, जिसके चलते उन्हें विशेष सुविधाओं वाले घर की आवश्यकता थी. उन्होंने बताया था कि परिवार के लिए अनुकूल घर की तलाश और उनके अनुकूलन में समय लग रहा था.
सामान पैक कर नए घर में जाने की तैयारी थी
7 जुलाई को समाचार मीडिया से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट किया था कि उन्होंने अपना सामान पैक कर लिया है. कुछ सामान नए किराए के सरकारी मकान में भेजा जा चुका है और बाकी अस्थायी तौर पर भंडारण में रखा गया है. जल्द ही वह और उनका परिवार नया निवास स्थान ग्रहण करेंगे.
अधिक समय तक CJI के बंगले में रहे
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर सूचित किया था कि जस्टिस चंद्रचूड़ निर्धारित समय से अधिक समय तक सीजेआई के बंगले में रहे हैं. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने बेटी की विशेष जरूरतों का हवाला दिया और कहा कि उन्होंने जानबूझकर नियमों का उल्लंघन नहीं किया है. उन्होंने इस पूरे विवाद पर खेद भी व्यक्त किया.
किसकी अनुमति से रह रहे थे पूर्व CJI?
चंद्रचूड़ ने बताया कि सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने तत्कालीन नए सीजेआई, जस्टिस संजीव खन्ना से संपर्क किया था और सूचित किया था कि वह पहले वाले सरकारी बंगले (14 तुगलक रोड) में वापस जाना चाहते हैं. परंतु जस्टिस खन्ना ने खुद उस बंगले में न रहने की इच्छा जताई और उन्हें वहीं रहने की अनुमति दी. इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने 1 जुलाई को केंद्र को पत्र भेजकर बंगला खाली कराने की मांग की थी.


