उत्तराखंड से कश्मीर तक...बादल फटने की वो घटनाएं, जिसने मचाई भयंकर तबाही; सहम गया पूरा देश
उत्तरकाशी के धराली में बादल फटने के बाद आई विनाशकारी बाढ़ ने भारी तबाही मचाई, जिससे जनहानि और व्यापक नुकसान हुआ. इस घटना ने हिमालयी क्षेत्र में बेहतर पूर्व चेतावनी प्रणाली और आपदा प्रबंधन की अहमियत को और अधिक उजागर कर दिया है. फिलहाल, राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं, लेकिन स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है.

Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में एक बार फिर बादल फटने से भयावह तबाही मच गई है. इस प्राकृतिक आपदा में कम से कम 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि बड़ी संख्या में लोग अब भी लापता हैं. खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में आई अचानक बाढ़ से घर, होटल और होमस्टे बह गए, जिससे गांव पूरी तरह मलबे में तब्दील हो गया. घटनास्थल से मिले सघन फुटेज में पानी और मलबे का तेज बहाव घरों में घुसते हुए दिखाई दे रहा है, जिससे लोग ऊंची जगहों की ओर भागते हुए नजर आ रहे हैं. इस घटना के बाद से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और भारतीय सेना की आईबेक्स ब्रिगेड द्वारा राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर चलाए जा रहे हैं. हेलीकॉप्टर और जमीनी दलों के द्वारा लगातार लापता लोगों की तलाश की जा रही है और घायल लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.
बादल फटने का इतिहास
भारत में बादल फटने से होने वाली आपदाएं कोई नई बात नहीं हैं. ऐसी घटनाएं हर साल कई राज्यों में घटित होती हैं, जो खासकर हिमालयी क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी साबित होती हैं. कुछ प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं
काली घाटी, कुमाऊं (अगस्त 1998): 250 से अधिक लोगों की मौत.
कुंथा, रुद्रप्रयाग (17 अगस्त, 1979): 39 मौतें.
मुंबई (जुलाई 2005): 450 से अधिक जानें गईं.
लेह, लद्दाख (अगस्त 2010): अनुमानित 250-600 मौतें.
उत्तरकाशी (सितंबर 2012): लगभग 45 मौतें.
केदारनाथ (16-17 जून, 2013): 5,000 से अधिक मौतें, कई लापता.
मंडी, हिमाचल प्रदेश (2025): कई बादल फटने से 15 लोगों की मौत हो गई और 27 लोग लापता हो गए.
इन घटनाओं ने यह साबित किया है कि हिमालयी क्षेत्र में बादल फटने के कारण होने वाली आपदाओं में हर साल कैसे लगातार वृद्धि हो रही है.
धराली में राहत कार्य
धराली में आई बाढ़ के बाद राहत कार्य तेजी से चलाए जा रहे हैं. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और भारतीय सेना की टीमें घटनास्थल पर पहुंच चुकी हैं और मलबे के नीचे फंसे लोगों की तलाश में जुटी हैं.
मेडिकल सहायता- आसपास के अस्पतालों में चिकित्सा टीमों को भेजा गया है, जो घायल लोगों को प्राथमिक उपचार दे रही हैं.
राहत सामग्री- प्रभावित गांवों में भोजन, पानी और अन्य आवश्यक राहत सामग्री भेजी जा रही है.
सड़क मार्ग खोलना- बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए गांव के मार्गों पर मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया गया है.
बुनियादी ढांचों पर सवाल
धराली में आई इस आपदा ने एक बार फिर हिमालयी क्षेत्र में बेहतर आपदा प्रबंधन और पूर्व चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता को सामने ला दिया है. जिला अधिकारी और राज्य तथा केंद्रीय एजेंसियां राहत कार्यों में आपस में समन्वय स्थापित करके स्थिति की गंभीरता से निपटने की कोशिश कर रही हैं. इस त्रासदी ने यह साफ कर दिया है कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए स्थानीय बुनियादी ढांचे को और सही करने की आवश्यकता है.


