कब तक भारत में रहेंगी पूर्व PM शेख हसीना...विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया जवाब, बांग्लादेश को लेकर कही ये बात
शनिवार को एक लीडरशिप समिट में चर्चा के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री ने शेख हसीना के भारत में रहने को लेकर विस्तार से बात की. उन्होंने कहा कि शेख हसीना का भारत में रहना उनका व्यक्तिगत फैसला है. इसके साथ ही विदेश मंत्री ने कहा कि वे जब तक चाहे भारत में रह सकती हैं. भारत में उन्हें मानवीय आधार पर शरण दी है.

नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक समिट 2025 के अंतिम दिन हुई बातचीत में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में क्यों ठहरी हुई हैं, यह मूलतः उनका अपना फैसला है. उन्होंने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश में जिस अस्थिर वातावरण के बीच उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी, वही परिस्थितियाँ उनके इस निर्णय के पीछे सबसे बड़ी वजह हैं. पिछले वर्ष अगस्त में 15 वर्ष पुराने कार्यकाल के हिंसक अंत के दौरान सैकड़ों लोगों की जान गई थी और हाल ही में ढाका की एक विशेष अदालत ने हसीना को मौत की सजा भी सुना दी थी. इन्हीं हालात में वह भारत पहुँची थीं और तब से यहीं रह रही हैं.
हसीना जितना चाहें, रह सकती हैं
नई व्यवस्था का पहला लक्ष्य पारदर्शी चुनाव
भारत-बांग्लादेश रिश्तों पर बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि पड़ोसी देश में राजनीतिक स्थिरता तभी संभव है जब आम जनता की इच्छा के अनुरूप, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनाव हों. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि वर्तमान अंतरिम नेतृत्व ने स्वयं स्वीकार किया था कि जनवरी 2024 में हुए चुनावों की प्रक्रिया को लेकर उनकी गंभीर आपत्तियां थीं. इसी संदर्भ में उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि यदि चुनाव ही सबसे बड़ी समस्या थे, तो नई व्यवस्था का पहला लक्ष्य पारदर्शी चुनाव होना चाहिए.
द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर भारत आशावादी
विदेश मंत्री ने भरोसा जताया कि बांग्लादेश में जब भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत नई सरकार बनेगी, भारत के साथ संबंधों में संतुलन और परिपक्वता बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि भारत की शुभकामना हमेशा यही रही है कि बांग्लादेश प्रगति करे और दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग बढ़े.
शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार कई बार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग उठा चुकी है, लेकिन भारत ने इस पर कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिया है. विश्लेषकों का मानना है कि भारत फिलहाल स्थिति को शांतिपूर्ण और राजनीतिक रूप से स्थिर होने का इंतज़ार कर रहा है और निकट भविष्य में होने वाले संभावित चुनाव दोनों देशों के राजनयिक समीकरण तय कर सकते हैं. फिलहाल, हसीना का भारत में रहना और द्विपक्षीय रिश्तों की दिशा दोनों ही ढाका में बनने वाली राजनीतिक परिस्थितियों पर निर्भर करते दिखते हैं.


