मैं मोदी-आरएसएस का पहले भी विरोधी था, आज भी हूं और आगे भी रहूंगा...पोस्ट के बाद उठे सवालों पर दिग्विजय सिंह ने दी सफाई
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के ट्वीट ने CWC बैठक से पहले सियासी बवाल खड़ा किया. नरेंद्र मोदी और RSS पर टिप्पणी के बाद उन्होंने सफाई दी कि वे संगठन की ताकत मानते हैं, लेकिन मोदी और RSS के वैचारिक विरोधी हैं.

नई दिल्लीः कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक से ठीक पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का एक सोशल मीडिया पोस्ट अचानक सियासी तूफान का कारण बन गया. इस पोस्ट में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संगठनात्मक ताकत का जिक्र करते हुए ऐसी टिप्पणी की, जिसे लेकर कांग्रेस के भीतर और बाहर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं. मामला इतना बढ़ा कि अब दिग्विजय सिंह को खुद सामने आकर सफाई देनी पड़ी है.
ट्वीट के बाद क्यों मचा बवाल?
दरअसल, दिग्विजय सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर प्रधानमंत्री मोदी की एक पुरानी तस्वीर साझा की थी. इस तस्वीर में मोदी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पैरों के पास बैठे हुए दिखाई देते हैं. इस फोटो के साथ दिग्विजय सिंह ने लिखा था, “RSS का जमीनी स्वयंसेवक और बीजेपी का जमीनी कार्यकर्ता नीचे बैठकर मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री बना. यह संगठन की शक्ति है.” इसी पोस्ट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी. कांग्रेस के कई नेताओं और समर्थकों ने इसे प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तारीफ के तौर पर देखा, जिससे पार्टी के भीतर असहजता बढ़ गई.
सफाई में क्या बोले दिग्विजय सिंह?
ट्वीट पर मचे विवाद के बाद दिग्विजय सिंह ने उसी पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी और स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि उनकी बात को गलत समझा गया है. दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं संगठन का पक्षधर हूं, लेकिन मैं RSS और प्रधानमंत्री मोदी का घोर विरोधी हूं. मैंने सिर्फ संगठन की ताकत की बात की है. RSS, पीएम मोदी और उनकी नीतियों का मैं पहले भी विरोधी था, आज भी हूं और आगे भी रहूंगा. उन्होंने दोहराया कि उनके बयान को किसी तरह की राजनीतिक समर्थन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.
दिल्ली: कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने अपने ही ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मैं संगठन का पक्षधर करता हूं, लेकिन मैं RSS और PM मोदी का विरोधी हूं। आपको गलतफहमी हुई है। मैंने संगठन की तारीफ की है, लेकिन मैं RSS और PM मोदी और उनकी नीतियों का कड़ा विरोधी था, हूं और रहूंगा।" pic.twitter.com/r1NJUADy0Y
— IANS Hindi (@IANSKhabar) December 27, 2025
पार्टी के भीतर दबाव की चर्चा
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी तेज है कि दिग्विजय सिंह को उनके ट्वीट को लेकर पार्टी के भीतर आलोचना का सामना करना पड़ा. माना जा रहा है कि इसी दबाव के चलते उन्हें सार्वजनिक रूप से सफाई देनी पड़ी. कांग्रेस के कई नेता इस बात से नाराज बताए जा रहे थे कि CWC बैठक जैसे अहम मौके पर ऐसा संदेश पार्टी की लाइन से अलग जा सकता है.
संगठन बनाम विचारधारा की बहस
दिग्विजय सिंह की सफाई के बाद भी यह बहस थमी नहीं है. कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनका ट्वीट सीधे तौर पर कांग्रेस संगठन के भीतर जमीनी स्तर की कमजोरी की ओर इशारा करता है. उनका संदेश यह हो सकता है कि मजबूत कैडर और संगठनात्मक ढांचे के बिना सत्ता तक पहुंचना मुश्किल है. हालांकि, दिग्विजय सिंह ने साफ किया है कि संगठन की प्रशंसा का मतलब भाजपा या RSS की विचारधारा का समर्थन नहीं है.
CWC की बैठक से पहले बयान
यह पूरा विवाद ऐसे समय सामने आया, जब कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हो रही थी और पार्टी आने वाले राजनीतिक संघर्षों की रणनीति तय कर रही थी. ऐसे में दिग्विजय सिंह का ट्वीट और फिर उस पर सफाई, दोनों ही कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में चर्चा का बड़ा विषय बन गए.
सियासत में संदेश
कुल मिलाकर, दिग्विजय सिंह का यह प्रकरण एक बार फिर दिखाता है कि राजनीति में शब्दों और संकेतों का कितना महत्व होता है. उन्होंने भले ही संगठन की ताकत की बात कही हो, लेकिन उसका राजनीतिक अर्थ कई स्तरों पर निकाला गया. अब उनकी सफाई के बाद यह साफ है कि वे खुद को RSS और प्रधानमंत्री मोदी का वैचारिक विरोधी मानते हैं, लेकिन साथ ही संगठनात्मक मजबूती को किसी भी राजनीतिक दल के लिए जरूरी मानते हैं.


