राज्यसभा में नहीं स्वीकार हुआ जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव, इसी वजह से धनखड़ ने छोड़ा था उपराष्ट्रपति का पद!
मार्च में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर जली नकदी मिलने के बाद मामला महाभियोग तक पहुंचा. भाजपा ने पारदर्शिता दिखाते हुए कार्रवाई की पहल की, विपक्ष ने राज्यसभा में महाभियोग का प्रस्ताव दिया. लेकिन अब विपक्ष का यह प्रस्ताव खारिज खारिज हो गया है.

मार्च महीने में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिलने के मामले ने अब गंभीर राजनीतिक मोड़ ले लिया है. उस समय वे दिल्ली उच्च न्यायालय में कार्यरत थे और अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के पद पर हैं. केंद्र सरकार इस मामले को लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव के ज़रिए उठाने जा रही है. प्रस्ताव के तहत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला न्यायमूर्ति वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए एक विशेष समिति बनाएंगे. अगर समिति आरोपों को प्रथम दृष्टया सही मानती है, तो उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की जाएगी.
राज्यसभा में विपक्षी प्रस्ताव रद्द करने की तैयारी
इससे पहले राज्यसभा के सभापति के रूप में पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष समर्थित महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था, जिससे सत्तारूढ़ भाजपा ने नाराजगी जताई थी. हालांकि, वह प्रस्ताव कभी राज्यसभा में औपचारिक रूप से पेश नहीं हुआ, इसलिए उसे निरस्त करने की प्रक्रिया अब शुरू कर दी गई है. इस घटनाक्रम को भाजपा द्वारा बनाई गई सर्वदलीय सहमति के उल्लंघन के रूप में देखा गया, जिससे पार्टी की रणनीति कमजोर पड़ी.
सरकार की रणनीतिक बैठक
बुधवार को हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में सरकार ने तय किया कि महाभियोग की कार्यवाही किस प्रकार आगे बढ़ाई जाएगी. बैठक में यह भी चर्चा हुई कि विपक्ष को 'भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा' के रूप में दिखाने का लाभ कैसे कम किया जाए. भाजपा चाहती है कि वह इस पूरे मामले में अग्रणी भूमिका निभाकर यह संदेश दे सके कि न्यायपालिका में पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करना उसकी प्राथमिकता है, विशेषकर बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे आगामी चुनावी राज्यों में.
भाजपा की पहले से तैयार रणनीति
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने से पहले ही भाजपा ने अपना महाभियोग प्रस्ताव तैयार कर लिया था और विपक्षी दलों से भी समर्थन प्राप्त करने की कोशिश की थी. कुछ विपक्षी सांसदों ने सरकार के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर भी किए थे. लेकिन जब पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राज्यसभा में विपक्ष के प्रस्ताव का उल्लेख किया, तो भाजपा की रणनीति ध्वस्त हो गई.
धनखड़ का इस्तीफा
पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ ने बाद में खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया, पर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनका इस्तीफा महाभियोग प्रस्ताव को लेकर बनी जटिल स्थिति का ही परिणाम था. भाजपा का मानना है कि अगर धनखड़ ने पहले से सरकार को अपनी मंशा बता दी होती, तो पार्टी प्रस्ताव पर बेहतर नियंत्रण स्थापित कर पाती.
नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू
धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है. आयोग के अनुसार अगस्त के अंतिम सप्ताह तक भारत को नया उपराष्ट्रपति मिल जाएगा.


