मिल्कियत की जंग में...: संपत्ति मामले में जमानत देते वक्त जज बन गए कवि
दिल्ली की रोहिणी कोर्ट के जज रोहित कुमार ने एक संपत्ति विवाद में आरोपी नितिन सोनी को जमानत देते हुए फैसला कविता में सुनाया. मां की संपत्ति पर अवैध कब्जे के आरोप में सबूतों की कमी के चलते जमानत दी गई. जज ने पारिवारिक रिश्तों की अहमियत को रेखांकित करते हुए फैसले को भावनात्मक स्पर्श दिया.

दिल्ली की एक अदालत के न्यायाधीश ने अपनी मां की संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा करने के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देते हुए अपने फैसले को कविता का रंग दे दिया. रोहिणी कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट रोहित कुमार ने शुक्रवार को संपत्ति विवाद से जुड़े एक मामले में नितिन सोनी नामक व्यक्ति को ज़मानत दे दी. आरोप है कि सोनी और उसकी पत्नी ने ताला तोड़कर और रॉड से हमला करके उसकी मां की संपत्ति पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया.
दिल्ली की रोहिणी अदालत के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट रोहित कुमार ने एक अनोखा फैसला सुनाते हुए संपत्ति विवाद से जुड़े एक आरोपी को जमानत दी, साथ ही अपने आदेश को एक कविता के रूप में प्रस्तुत किया. यह निर्णय नितिन सोनी नामक व्यक्ति को जमानत देने के संदर्भ में दिया गया, जिन पर अपनी मां की संपत्ति पर अवैध कब्ज़ा करने का आरोप था.
जज कुमार ने अपने आदेश को ‘जंग मिलकियत’ शीर्षक दिया और कहा:
मिलकियत की जंग में ना जाने कितने अफसाने हुए
कुछ ही अपने थे, वो भी अब बेगाने हुए.
बनके कृष्णा, अब किसी को आना होगा,
लड़ते-लड़ते, बिगड़ते रिश्तों को बचाना होगा.
क्या है मामला?
12 जुलाई को गिरफ्तार किए गए नितिन सोनी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी मां की संपत्ति पर कब्जा कर ताला तोड़ा और रॉड से हमला किया. शिकायतकर्ता उनकी मां हैं, जिनके पक्ष में पहले ही अदालत कब्जे को लेकर निर्देश जारी कर चुकी है. दिल्ली पुलिस के अनुसार, सोनी पर कई पीसीआर कॉल, शिकायतें और गैर-संज्ञेय रिपोर्ट (NCR) दर्ज हैं. साथ ही, उनके खिलाफ पहले से प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी की जा चुकी है.
सोनी के वकील की दलील
नितिन सोनी की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि यह अवैध कब्जे का मामला नहीं है. उन्होंने दावा किया कि मौखिक समझौते के तहत उनकी मां ने खुद संपत्ति सौंप दी थी. साथ ही, कुछ फोटोग्राफिक साक्ष्य पेश किए गए जिनमें सोनी और उनका परिवार 10 जुलाई से पहले संपत्ति पर मौजूद थे. उन्होंने सवाल उठाया कि यदि कब्जा अवैध था, तो अवमानना या बेदखली की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की गई.
सबूत की कमी
अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि संपत्ति के हस्तांतरण के बाद सोनी ने उस पर जबरन कब्जा कर लिया. उन्होंने यह भी कहा कि भले ही शिकायतकर्ता को शारीरिक रूप से हटाया गया हो, लेकिन वह ‘रचनात्मक कब्जे’ में बनी हुई थीं. जब न्यायाधीश ने जांच अधिकारी से सीधे तौर पर सवाल किया, तो कोई सीसीटीवी फुटेज या वीडियो साक्ष्य उपलब्ध नहीं पाया गया, जिससे यह साबित हो सके कि सोनी ने 10 जुलाई को या उससे पहले जबरन प्रवेश किया हो.
जमानत पर न्यायालय की टिप्पणी
सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, न्यायाधीश रोहित कुमार ने कहा कि मामला गंभीर पारिवारिक विवाद का प्रतीक है, जिसमें रिश्ते टूटने के कगार पर हैं. अदालत ने नितिन सोनी को जमानत देते हुए कहा कि न्याय के साथ-साथ भावनाओं को भी समझना जरूरी है. उन्होंने लिखा-
बनकर बेटी, रिश्तों को बचाना होगा
सभी रिश्तों को निभाना होगा.
क्या रखा है इस जंग में कोई बताएगा?
आख़िर इस धरती से कौन क्या ही ले जाएगा?


