भारत बना रहा है सुपरफास्ट और स्टील्थ वाला अपना पहला पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान... जानिए क्यों है ये जरुरी!
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंजूरी दे दी है कि भारत अब पूरा स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाएगा. ये विमान रडार में नहीं पकड़ेगा, बहुत तेज उड़ान भरेगा और बेहद ताकतवर होगा. चीन और अमेरिका जैसे देश पहले से ऐसे विमान बना चुके हैं अब भारत भी पीछे नहीं रहेगा.क्या है खास इस विमान में, कौन-कौन से दमदार फीचर्स होंगे और भारत को इसकी कितनी जरूरत है?

India’s First Fifth-Generation Stealth Fighter Jet: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बहुत बड़ा ऐलान किया है. भारत अब अपना पहला पांचवीं पीढ़ी का स्वदेशी स्टील्थ लड़ाकू विमान बनाएगा. इसे एडवांस्ड मीडियम कांबैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) कहा जाएगा. यह प्रोजेक्ट रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) के तहत तैयार हो रहा है. इस मंजूरी के बाद भारत एक बड़ा कदम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ा चुका है.
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान क्या होता हैं?
पांचवीं पीढ़ी के विमान सबसे आधुनिक और ताकतवर होते हैं. ये रडार से छुपने वाले (स्टील्थ), तेज गति से उड़ने वाले (सुपरक्रूज), और अत्याधुनिक डिजिटल तकनीक से लैस होते हैं. इनके अंदर कई सेंसर जुड़कर पायलट को पूरा युद्धक्षेत्र समझाते हैं और ये दूसरे विमानों, ड्रोन और कमांड सेंटर से भी डेटा साझा कर सकते हैं.
एएमसीए भी ऐसा ही होगा, जिसमें दो इंजन होंगे और स्टील्थ कोटिंग से लैस होगा. खास बात ये है कि इसके हथियार विमान के अंदर लगाए जाएंगे ताकि रडार को उनका पता न चल सके. अमेरिका के एफ-22 और रूस के एसयू-57 जैसे विमान इसी तकनीक से लैस हैं.
एएमसीए के दो वर्जन होंगे, दोनों होंगे दमदार
पहले वर्जन में अमेरिकी GE414 इंजन लगेगा. दूसरा वर्जन होगा भारत का खुद का स्वदेशी जेट इंजन, जो अभी डीआरडीओ और गैस टर्बाइन रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट (GTRI) द्वारा विकसित किया जा रहा है. इसे कावेरी प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है. कावेरी इंजन को भारत की हल्की लड़ाकू विमान तेजस के लिए बनाया गया था, लेकिन अब इसे एएमसीए और लंबी दूरी के मानवरहित लड़ाकू विमानों के लिए भी तैयार किया जा रहा है. इसका टेस्टिंग रूस में चल रहा है.
भारत को पांचवीं पीढ़ी के विमान की क्यों है जरूरत?
पांचवीं पीढ़ी के विमान रखना भारत के लिए जरूरी है क्योंकि पड़ोसी देशों की एयरफोर्स लगातार मजबूत हो रही है. चीन के पास 250 से ज्यादा जे-20 स्टील्थ जेट हैं, और वे लगातार नए मॉडल बना रहे हैं. पाकिस्तान भी चीन से जे-35 लड़ाकू विमान लेने की योजना बना रहा है. 2020 में लद्दाख में हुई टकराव ने दिखाया कि चीन की हवाई ताकत भारत के लिए चुनौती बन सकती है. इसलिए भारत के लिए अपनी ताकत बढ़ाना और स्वदेशी स्टील्थ विमान बनाना जरूरी हो गया है.
विदेशी विमान के विकल्प हैं, लेकिन स्वदेशी विमान बनेगा सबसे खास
भारत को अमेरिका और रूस ने अपने पांचवीं पीढ़ी के विमान खरीदने की पेशकश की है, लेकिन भारत अब अपने दम पर अपनी ताकत बढ़ाना चाहता है. विदेशी विमान खरीदने में कई बार शर्तें और आपूर्ति में दिक्कतें आती हैं. रूस की सेना की आपूर्ति क्षमता भी यूक्रेन युद्ध के कारण कम हो गई है. इसलिए भारत का यह कदम बेहद अहम है.
खास फीचर्स जो बनाएंगे एएमसीए को खास
स्टील्थ: रडार में नहीं पकड़ता.
सुपरक्रूज: बिना आफ्टरबर्नर के तेज उड़ान.
सेंसर फ्यूजन: सभी सेंसर से जानकारी पायलट को मिलती है.
नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर: रियल टाइम डेटा शेयरिंग.
एआई और ऑटोमेशन: स्वचालित टारगेटिंग और मदद.
भारत की यह पहल देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग है. पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान ना सिर्फ देश की हवाई सुरक्षा मजबूत करेंगे, बल्कि भविष्य के खतरों से निपटने में भी मदद करेंगे. इससे भारत की ताकत बढ़ेगी और विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम होगी. आने वाले समय में यह विमान भारत की हवा में सबसे तेज, ताकतवर और सुरक्षित ताकत साबित होगा.


