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भारत के पास एक कमजोर प्रधानमंत्री है...ट्रंप ने H-1B वीजा नियमों में किया बदलाव तो बोले राहुल गांधी

राहुल गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा एच-1बी वीजा पर 1 लाख डॉलर का शुल्क लगाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी पर हमला किया, और कहा कि वह कमजोर प्रधानमंत्री हैं. कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि अमेरिका जानबूझकर भारत के खिलाफ आक्रामक रवैया अपना रहा है. यह नया शुल्क भारतीय तकनीकी कर्मचारियों को प्रभावित करेगा और भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों के विकास को बढ़ावा दे सकता है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Rahul Gandhi Attack on Modi : लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा एच-1बी वीज़ा पर 1 लाख डॉलर का शुल्क लगाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला. राहुल गांधी ने अपने 2017 के एक पोस्ट का संदर्भ देते हुए सवाल उठाया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रम्प से एच-1बी वीज़ा पर बात क्यों नहीं की, जो उस समय राष्ट्रपति के पहले कार्यकाल में थे. राहुल ने अपने ट्वीट में कहा, "मैं फिर से कहता हूं, भारत का प्रधानमंत्री कमजोर है."

भारत-US संबंधों के लिए शुभ संकेत नहीं
इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सांसद मनीष तिवारी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका जानबूझकर भारत के प्रति आक्रामक रवैया अपना रहा है. उन्होंने कहा कि एच-1बी वीज़ा शुल्क का बढ़ना कोई संयोग नहीं है. उनका कहना था कि अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के समर्थन में किए गए कदम, जैसे पाकिस्तानी आर्मी चीफ का व्हाइट हाउस में स्वागत और व्यापार शुल्कों में वृद्धि, इन सभी घटनाओं से यह प्रतीत होता है कि अमेरिका भारत के खिलाफ जानबूझकर आक्रामक रुख अपना रहा है. तिवारी ने यह भी कहा कि यह स्थिति भारत-अमेरिका संबंधों के लिए शुभ संकेत नहीं है.

ट्रंप भारत का अपमान कर रहे, लेकिन PM मोदी 
कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा ने भी प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया. उनका कहना था कि 5 जुलाई 2017 को राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर कदम उठाने को कहा था, लेकिन मोदी ने तब कोई कार्रवाई नहीं की और आज भी स्थिति वही है. उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रम्प भारत का अपमान कर रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी मौन हैं. पवन खेड़ा का यह भी कहना था कि यदि मोदी संसद में ट्रम्प को झूठा कहते, तो देश उनके साथ खड़ा होता.

1 लाख डॉलर का वार्षिक शुल्क लागू
कांग्रेस की इस आलोचना का कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का नया कार्यकारी आदेश था, जिसमें "Certain Nonimmigrant Workers" (कुछ नॉन-इमीग्रेंट श्रमिकों) के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है और एच-1बी वीज़ा के लिए 1 लाख डॉलर का वार्षिक शुल्क लागू किया गया है. यह आदेश 21 सितंबर से प्रभावी होगा और इसका उद्देश्य एच-1बी कार्यक्रम में हो रही कथित गड़बड़ियों को सुधारना है, जिसमें अमेरिकी कर्मचारियों को बदलने और मजदूरी दबाने के आरोप हैं.

उद्देश्य, कुशल विदेशी कर्मचारियों को लाना...
अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि एच-1बी का मूल उद्देश्य अत्यधिक कुशल विदेशी कर्मचारियों को लाना था, लेकिन अब इसमें बदलाव किया गया है और यह कार्यक्रम निचली मजदूरी वाले, प्रवेश स्तर के कर्मचारियों को आकर्षित करने के लिए इस्तेमाल हो रहा है. इस आदेश में राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें वीज़ा धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच की बात की गई है, जो उन कंपनियों से जुड़ी हैं, जो इस कार्यक्रम पर निर्भर हैं.

इस नए आदेश के तहत, नियोक्ताओं को अब एच-1बी याचिकाएं दायर करते समय भुगतान का प्रमाण देना होगा, और इसे लागू करने का कार्य अमेरिकी राज्य और होमलैंड सुरक्षा विभाग द्वारा किया जाएगा. हालांकि, कुछ मामलों में राष्ट्रीय हित के तहत छूट दी जा सकती है.

इंजीनियरों और अन्य तकनीकी कर्मचारी होंगे प्रभावित 
यह वीजा शुल्क वृद्धि भारतीय सॉफ़्टवेयर इंजीनियरों और अन्य तकनीकी कर्मचारियों को प्रभावित करेगी, जो अमेरिका में कार्यरत हैं. इसके परिणामस्वरूप, भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों (Global Capability Centres, GCCs) की वृद्धि हो सकती है, जहां भारतीय कंपनियां अपने संचालन को बढ़ा सकती हैं और तकनीकी कर्मचारियों को घर पर ही रोजगार दे सकती हैं. इस घटनाक्रम ने भारत और अमेरिका के व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों पर एक नई बहस को जन्म दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच रिश्तों पर असर पड़ सकता है.

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20 September 2025, 04:15 PM IST

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