भारत अब अमेरिका-चीन जैसे देशों की कतार में खड़ा होगा...अब बनेगा अपना 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट – AMCA को मिली मंजूरी!
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने AMCA प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है जिसे DRDO की एडीए एजेंसी लीड करेगी. यह विमान स्टेल्थ तकनीक से लैस होगा और भारत को अमेरिका-चीन जैसे देशों के क्लब में शामिल करेगा. पर क्या ये कदम आईएएफ की घटती ताकत को पूरा कर पाएगा? जानिए पूरी कहानी में!

India New 5th Generation Fighter: भारत ने अब फाइटर जेट्स की दुनिया में एक बड़ा कदम उठा लिया है. देश को अपना स्वदेशी 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान मिलने वाला है – और इसका नाम है एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA). रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. अब इसका निर्माण और विकास DRDO की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) की अगुवाई में किया जाएगा.
अब भारत बनाएगा खुद का स्टेल्थ फाइटर
AMCA भारत का पहला ऐसा फाइटर जेट होगा जिसमें स्टेल्थ तकनीक होगी – यानी ये रडार की पकड़ में नहीं आएगा. अमेरिका, रूस और चीन जैसे कुछ ही देशों के पास ऐसी तकनीक है. AMCA का आना भारत को भी इस एक्सक्लूसिव क्लब में शामिल कर देगा.
कैबिनेट ने पहले ही दी थी मंजूरी
इस परियोजना को मार्च 2024 में सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति (CCS) ने हरी झंडी दी थी. अब इसे क्रियान्वित करने का मॉडल भी मंजूर हो चुका है. ADA इसे उद्योग भागीदारी के साथ मिलकर तैयार करेगी. जल्द ही AMCA के विकास के लिए EoI (Expression of Interest) जारी किया जाएगा, जो कि प्रोटोटाइप तैयार करने की दिशा में पहला कदम होगा.
कब उड़ान भरेगा AMCA?
हालांकि रक्षा मंत्रालय ने इस बार कोई सटीक टाइमलाइन नहीं दी है, लेकिन पहले की रिपोर्ट्स के मुताबिक मंजूरी मिलने के तीन साल के भीतर इसका प्रोटोटाइप तैयार हो सकता है और इसके एक से डेढ़ साल बाद पहली उड़ान देखी जा सकती है.
IAF की घटती ताकत और AMCA की ज़रूरत
भारत की वायुसेना फिलहाल काफी दबाव में है. 41 स्क्वाड्रन की स्वीकृत क्षमता के मुकाबले IAF के पास सिर्फ 29 स्क्वाड्रन हैं. ऐसे में जब एक तरफ चीन दबाव बना रहा है और पाकिस्तान मौका तलाश रहा है, IAF की घटती ताकत और धीमी खरीद प्रक्रिया से रणनीतिक चिंताएं बढ़ रही हैं. ऐसे माहौल में AMCA जैसी परियोजना की मंजूरी बहुत अहम मानी जा रही है.
AMCA सिर्फ एक लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति का प्रतीक बनने जा रहा है. यह प्रोजेक्ट सिर्फ वायुसेना की ताकत नहीं बढ़ाएगा, बल्कि देश को रक्षा तकनीक में भी एक ऊंचा मुकाम दिलाएगा. अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि इसकी रफ्तार कितनी तेज़ होती है.


