भारत के नए लेबर कोड्स, मजदूरों के लिए एक बदलाव लाने वाली, जिसका लंबे समय से था इंतजार
भारत में श्रम कानूनों के क्षेत्र में दशकों बाद सबसे बड़ा सुधार करते हुए केंद्र सरकार ने चार नए लेबर कोड लागू किए हैं, जो देश के करोड़ों मज़दूरों के जीवन को सीधे प्रभावित कर रहे हैं. सरकार का दावा है कि इन कानूनों ने बिखरे हुए और जटिल श्रम नियमों को एक सरल, आधुनिक और मज़दूरों के हित में बने ढांचे में बदला है.

New Labour Code: भारत के श्रम क्षेत्र में लंबे समय से अपेक्षित सुधार आखिरकार साकार हुए हैं. देश की कार्यशक्ति जिस उपनिवेशकालीन, बिखरे हुए और पुरानी हो चुकी कानूनी संरचना के आधार पर चल रही थी, उसे पुनर्गठित करते हुए सरकार ने चार नई श्रम संहिताओं को लागू किया है.
2.औद्योगिक संबंध संहिता (2020)
3.सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020)
4.व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य परिस्थितियाँ संहिता (2020)
इन चार संहिताओं ने कुल 44 केंद्रीय श्रम कानूनों और 100 से अधिक राज्य कानूनों को समाहित करके पूरे श्रम ढांचे को सरल और आधुनिक रूप दिया है. इससे न केवल नीति निर्माण स्पष्ट हुआ है, बल्कि मजदूरों के लिए कानूनी सुरक्षा भी अधिक सुदृढ़ हुई हैं
इन श्रम संहिताओं को तैयार करने में सरकार ने अत्यंत विस्तृत और सहभागितापूर्ण प्रक्रिया अपनाई. नौ बार त्रिपक्षीय वार्ताएँ आयोजित की गईं, जिनमें सरकार, मजदूर संगठनों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने अपनी राय रखी. इसके अलावा, दस मंत्रालयों के बीच कई दौर की चर्चाएँ हुईं और संसदीय स्थायी समिति द्वारा दिए गए 233 सुझावों में से लगभग 74 प्रतिशत को अंतिम ड्राफ्ट में शामिल किया गया.
1. सभी के लिए न्यूनतम वेतन—अब कोई भी कवरेज से बाहर नहीं
पहले न्यूनतम वेतन केवल “अनुसूचित रोजगार” को मिलता था. अब:
● हर मज़दूर—कृषि मज़दूर, घरेलू कामगार, निर्माण मज़दूर, IT कर्मचारी—सभी को कानूनी न्यूनतम वेतन मिलेगा.
● राष्ट्रीय फ़्लोर वेज यह सुनिश्चित करता है कि कोई राज्य इससे नीचे वेतन तय नहीं करेगा.
यह ग्रामीण और कृषि मज़दूरों के लिए बड़ी सुरक्षा है.
2. महिलाओं के लिए समान वेतन और बेहतर सुविधाएँ
लेबर कोड:
● “समान काम का समान वेतन” लागू करते हैं
● सुरक्षित नाइट-शिफ्ट की अनुमति देते हैं
● क्रेच सुविधा अनिवार्य करते हैं
● मातृत्व लाभ और कार्यस्थल सुरक्षा मजबूत करते हैं
यह ग्रामीण महिला मज़दूरों को सशक्त बनाता है.
3. सामाजिक सुरक्षा—अब गिग, प्लेटफॉर्म और असंगठित मज़दूर भी शामिल
पहली बार सामाजिक सुरक्षा के दायरे में शामिल:
● गिग वर्कर्स (Zomato, Swiggy, Uber आदि)
● मौसमी कृषि मज़दूर
● अस्थायी/ठेका मज़दूर
ESIC अब छोटे प्रतिष्ठानों और प्लांटेशन मज़दूरों को भी कवर करता है.
PF, पेंशन, बीमा, मातृत्व सहायता अब असंगठित मज़दूर भी प्राप्त कर सकेंगे.
4. प्रवासी मज़दूरों के अधिकार—अब हर राज्य में लागू
कानून सुनिश्चित करते हैं:
● अधिकारों की पोर्टेबिलिटी
● आधार-आधारित यूनिफाइड डेटाबेस
● मूल स्थान तक यात्रा के लिए एकमुश्त भुगतान
● दूसरे राज्यों में भी राशन और welfare लाभ
यह देशभर में घूमकर काम करने वाले मज़दूरों के लिए बड़ा सुधार है.
5. फिक्स्ड-टर्म मज़दूरों को स्थाई कर्मचारियों जैसी सुविधाएँ
अब FTE कर्मचारियों को मिलता है:
● स्थायी कर्मचारियों जैसे सभी लाभ
● केवल 1 वर्ष में ग्रेच्युटी का अधिकार
यह ग्रामीण मौसमी मज़दूरों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव है.
6. स्वास्थ्य, सुरक्षा और कार्य की शर्तें—अब कानूनी अधिकार
● मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच
● सख़्त सुरक्षा मानक
● गर्मी, रसायनों और लंबे काम वाले कृषि माहौल के लिए विशेष सुरक्षा
7. औपचारिकता, पारदर्शिता और शिकायत समाधान की मजबूती
अब हर मज़दूर को मिलता है:
● अपॉइंटमेंट लेटर
● समय पर वेतन
● Samadhan पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत
● अनिवार्य शिकायत निवारण समितियाँ
● तेज़ न्यायिक समाधान
यह सभी मज़दूरों, खासकर ग्रामीण मजदूरों के लिए बड़ा लाभ है.
8. क्यों विरोध की कई दलीलें भ्रामक हैं
“Hire & Fire होगा” — बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया
मूल अधिकार जैसे वेतन, ओवरटाइम, ग्रेच्युटी सुरक्षित हैं.
“12 घंटे काम होगा” — अधूरी जानकारी
साप्ताहिक सीमा 48 घंटे है और ओवरटाइम का भुगतान दोगुना है.
“यूनियन कमजोर होंगी” — गलत व्याख्या
यूनियनों को खत्म नहीं किया गया; ढांचा आधुनिक बनाया गया है.
“कानून केवल उद्योगपतियों के लिए है” — निराधार
वास्तविक लाभ तो मजदूरों के हैं:
● न्यूनतम वेतन
● स्वास्थ्य जांच
● सामाजिक सुरक्षा
● रोजगार का लिखित प्रमाण
9. कृषि और ग्रामीण मजदूरों के लिए मुख्य लाभ
● बेहतर सुरक्षा
● औपचारिक रोजगार
● सामाजिक सुरक्षा
● समान वेतन
● गिग वर्कर्स की शामिली
● प्रवासी मज़दूरों को अधिकार
मजदूरों की गरिमा और सुरक्षा की दिशा में ऐतिहासिक कदम
भारत के लेबर कोड मज़दूरों खेती करने वाले, बाहर से आए, असंगठित, गिग वर्कर को नए अधिकार, नई सुरक्षा और नई इज्ज़त देते हैं. यह सिर्फ सुधार नहीं हैयह मजदूरों को मजबूत बनाने की एक नई शुरुआत है. अब सबसे जरुरी है बेहतर तरीके से लागू करना, मजबूत मॉनिटरिंग करना और यह पक्का करना कि सभी मजदूरों तक फायदे पहुंचें.


