भारत ने जर्मनी को पीछे छोड़, पवन और सौर ऊर्जा में बना तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक – जानिए कैसे!
भारत ने जर्मनी को पछाड़कर पवन और सौर ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक बनकर एक नई उपलब्धि हासिल की है. सौर ऊर्जा के क्षेत्र में शानदार वृद्धि के साथ, भारत अब स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगा रहा है. जानिए, यह भारत के ऊर्जा भविष्य और वैश्विक बाजार के लिए क्या मायने रखता है!

India Surpasses Germany: भारत ने अपनी ऊर्जा उत्पादन क्षमता में एक बड़ा कदम बढ़ाया है और अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पवन और सौर ऊर्जा उत्पादक बन चुका है.
इस उपलब्धि ने भारत को जर्मनी से आगे कर दिया है. ऊर्जा थिंक टैंक एम्बर की नई रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 तक भारत पवन और सौर ऊर्जा से कुल बिजली उत्पादन में तीसरे स्थान पर आ चुका है. इससे साफ है कि भारत ने सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल किया है और इसके परिणामस्वरूप स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में देश का योगदान लगातार बढ़ रहा है.
भारत में सौर ऊर्जा का योगदान
भारत में 2024 में सौर ऊर्जा का योगदान 7 प्रतिशत होने का अनुमान है. यह सिर्फ उत्पादन में वृद्धि नहीं, बल्कि सौर ऊर्जा को अपनाने में भारत की बढ़ती प्राथमिकता को भी दर्शाता है. पिछले साल, भारत ने 24 गीगावाट सौर क्षमता जोड़ी, जिससे यह चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक बन गया है. इससे यह भी जाहिर होता है कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने कितनी तेजी से विकास किया है.
पवन और सौर ऊर्जा के बढ़ते योगदान से भारत की ऊर्जा दिशा का नया दौर
भारत ने पिछले साल अपनी बिजली उत्पादन में पवन और सौर ऊर्जा से कुल 10 प्रतिशत योगदान दिया था. इस दौरान, जलविद्युत ने 8 प्रतिशत का योगदान दिया था. यह आंकड़े भारत की स्वच्छ ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्धता को और भी स्पष्ट करते हैं. 2024 में, वैश्विक बिजली उत्पादन में पवन और सौर ऊर्जा का योगदान 15 प्रतिशत होने का अनुमान है, और इसमें भारत का योगदान 10 प्रतिशत रहेगा.
विश्व स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा का रिकॉर्ड विकास
वैश्विक स्तर पर, स्वच्छ ऊर्जा में भारी वृद्धि हो रही है. 2024 में रिकॉर्ड 858 टेरावाट घंटे (TWh) सौर और पवन ऊर्जा से जुड़े होंगे, जो 2022 के पिछले रिकॉर्ड से 49 प्रतिशत अधिक है. एम्बर की रिपोर्ट के अनुसार, सौर ऊर्जा लगातार तीसरे वर्ष नए विद्युत उत्पादन का सबसे बड़ा स्रोत बनी हुई है, और भारत ने सौर ऊर्जा उत्पादन में चौथी सबसे बड़ी वृद्धि दर्ज की है.
भारत का स्वच्छ ऊर्जा मिशन और चुनौतियां
भारत ने 2030 तक अपनी कुल बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया है. साथ ही, 2021 में सरकार ने 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य भी घोषित किया. हालांकि, एम्बर की रिपोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि स्वच्छ ऊर्जा में निवेश में सालाना 20 प्रतिशत का इजाफा नहीं किया गया, तो भारत 500 गीगावाट के लक्ष्य से पीछे रह सकता है.
भारत के ऊर्जा बदलाव का एशिया पर प्रभाव
एशिया में स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में तेजी से बदलाव हो रहा है. एम्बर के एशिया कार्यक्रम निदेशक आदित्य लोला ने कहा कि सौर ऊर्जा की रिकॉर्ड वृद्धि से एशिया में स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन की गति तेज हो रही है. यह परिवर्तन ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा और आर्थिक लचीलापन प्रदान करेगा, जिससे उभरते देशों को एक नई ऊर्जा अर्थव्यवस्था तक पहुंच प्राप्त होगी.
भारत का यह कदम न केवल देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सहायक होगा, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी एक महत्वपूर्ण योगदान होगा. भारत की ऊर्जा रणनीति और बढ़ती स्वच्छ ऊर्जा क्षमता ने देश को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाई है.


