चीन-पाक की नींद उड़ाएगा ‘प्रचंड’, ऊंचाई पर अचूक वार की ताकत से लैस
कॉम्बैट प्रचंड हेलीकॉप्टर: हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ के भारतीय सेना में शामिल होने से दुर्गम और ऊंचाई वाले इलाकों में सैन्य अभियान क्षमता को नई मजबूती मिलेगी. बता दें कि 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए 62 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत की डील को मंजूरी दी गई.

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने हाल ही में 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों (LCH) की आपूर्ति के लिए एक बड़ी डील की घोषणा की है, जिसकी कुल लागत 62,000 करोड़ रुपये से अधिक है. इस सौदे को रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मिल चुकी है और इसका निर्माण कर्नाटक के बेंगलुरु और तुमकुर में किया जाएगा. यह डील भारत को चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर सामरिक बढ़त दिलाने में सहायक होगी.
स्वदेशी मल्टी-रोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टर
‘प्रचंड’ हेलीकॉप्टर एचएएल द्वारा डिजाइन और निर्मित एक स्वदेशी मल्टी-रोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है, जिसे आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान के तहत विकसित किया गया है. इसकी जरूरत का एहसास पहली बार 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान हुआ था, जब ऊंचाई वाले इलाकों में ऑपरेशन के लिए ऐसे हेलीकॉप्टरों की कमी महसूस हुई थी.
प्रचंड 15,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर भी प्रभावी ढंग से काम करने में सक्षम है. यह एयर-टू-एयर और एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों से लैस होता है और दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट करने में सक्षम है. यह दुनिया का पहला स्टेल्थ हेलीकॉप्टर है जो 16,400 फीट की ऊंचाई पर उतरने और उड़ान भरने की क्षमता रखता है.
प्रोटोटाइप परीक्षण
इसमें नाइट विजन, इन्फ्रारेड, रडार वार्निंग रिसीवर, मिसाइल अप्रोच वार्निंग और लेजर वार्निंग सिस्टम जैसे अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं. इसकी अधिकतम गति लगभग 463 किमी प्रति घंटा है. 2010 में इसका पहला प्रोटोटाइप परीक्षण किया गया था, जो सियाचिन जैसे दुर्गम क्षेत्रों में सफलतापूर्वक परीक्षणों में खरा उतरा.
एचएएल के अनुसार, मार्च 2028 से पहले बैच की डिलीवरी शुरू हो जाएगी. 156 हेलीकॉप्टरों में से 66 भारतीय वायुसेना और 90 थलसेना को दिए जाएंगे. इस परियोजना के तहत अगले 5.5 से 6 वर्षों में सभी हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति पूरी कर दी जाएगी, जिससे भारत की रक्षा क्षमता में बड़ा इजाफा होगा.


