निर्दोषों को जेल, असली गुनहगार आजाद... छत्तीसगढ़ में दो ननों की गिरफ्तारी पर बोले शशि थरूर
छत्तीसगढ़ के दुर्ग स्टेशन से दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी पर कांग्रेस नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. शशि थरूर और राहुल गांधी ने इसे धार्मिक उत्पीड़न और संविधान विरोधी बताया. वहीं, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मामले को महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा बताया और कहा कि जांच जारी है. कांग्रेस ने संसद में विरोध जताया और ननों की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए इसे भीड़तंत्र का उदाहरण बताया.

छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी को लेकर देशभर में विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर और राहुल गांधी ने इस गिरफ्तारी को "धार्मिक आधार पर उत्पीड़न" बताया, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा संवेदनशील मामला कहा है.
देश में भीड़तंत्र हावी होता जा रहा
क्या है मामला?
25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन से सिस्टर प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस, तथा उनके साथ एक अन्य व्यक्ति सुकामन मंडावी को गिरफ्तार किया गया. बजरंग दल के एक स्थानीय कार्यकर्ता की शिकायत के बाद यह गिरफ्तारी हुई. आरोप था कि ये तीनों नारायणपुर की तीन लड़कियों को जबरन धर्म परिवर्तन कराने और मानव तस्करी के उद्देश्य से आगरा ले जा रहे थे.
"यह न्याय नहीं, भीड़ का शासन है"
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घटना को लेकर एक तीखा बयान जारी किया. उन्होंने कहा कि "दो कैथोलिक ननों को केवल उनके धर्म के आधार पर जेल में डाला गया है. यह न्याय नहीं है, यह बीजेपी-आरएसएस की भीड़ तंत्र की नीति है." उन्होंने इसे अल्पसंख्यकों के संगठित उत्पीड़न की एक "खतरनाक प्रवृत्ति" करार दिया और कहा कि यह संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है.
संसद में कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन
राहुल गांधी ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर यूडीएफ (UDF) के सांसदों ने संसद में विरोध दर्ज किया, और कहा कि कांग्रेस इस अन्याय पर चुप नहीं बैठेगी. उन्होंने दोहराया कि ननों की तत्काल रिहाई और दोषियों की जवाबदेही तय की जाए. उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दी सफाई
इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि सरकार ने पुलिस कार्रवाई का समर्थन किया है. उनके अनुसार, नारायणपुर की तीन युवतियों को नर्सिंग ट्रेनिंग और नौकरी का झांसा देकर आगरा ले जाया जा रहा था, जहां धार्मिक परिवर्तन की कोशिश की जा रही थी. उन्होंने कहा, "यह महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर मामला है. जांच जारी है और मामला न्यायिक प्रक्रिया में है. कानून अपना काम करेगा."
बस्तर की बेटियों के नाम पर राजनीति बंद हो
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ एक शांतिप्रिय राज्य है, जहां सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते हैं. उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रहे हैं, जबकि यह मामला बस्तर की बेटियों की सुरक्षा से जुड़ा है. उन्होंने सभी से आग्रह किया कि जांच को प्रभावित किए बिना कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करें.
धार्मिक स्वतंत्रता बनाम सुरक्षा का मुद्दा
इस विवाद में जहां एक ओर कांग्रेस इसे धार्मिक उत्पीड़न और अल्पसंख्यकों के खिलाफ कार्रवाई के रूप में देख रही है, वहीं राज्य सरकार इसे महिलाओं की सुरक्षा और मानव तस्करी के खिलाफ कदम बता रही है. अब देश की निगाहें इस मामले की निष्पक्ष जांच और अदालत के फैसले पर टिकी हैं.


