ISI का घातक गेमप्लान, SSG से प्रशिक्षित मूसा ने किया कश्मीर में नरसंहार
पहलगाम आतंकी हमले की जांच में सामने आया है कि मुख्य आतंकी हाशिम मूसा पाकिस्तान सेना के SSG का पूर्व कमांडो है. वह अब लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम कर रहा है. मूसा की सैन्य ट्रेनिंग और ISI से समर्थन मिलने की पुष्टि हुई है, जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का प्रमाण है.

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले की जांच के दौरान एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. जांच एजेंसियों ने हमले में शामिल एक आतंकी की पहचान हाशिम मूसा के रूप में की है, जो पहले पाकिस्तान की सेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) में पैरा कमांडो रह चुका है. अब वह लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूंखार आतंकी संगठन के लिए काम कर रहा है. इस खुलासे ने भारत की सुरक्षा के सामने एक नई और गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है.
सूत्रों के अनुसार, हाशिम मूसा को पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आकाओं द्वारा विशेष मिशन पर जम्मू-कश्मीर भेजा गया था. उसका मकसद था गैर-स्थानीय नागरिकों और सुरक्षाबलों में डर और अस्थिरता फैलाना. रिपोर्ट्स के मुताबिक मूसा पहले भी जम्मू-कश्मीर में गगनगीर और बारामुल्ला के बूटा पथरी में हुए आतंकी हमलों में शामिल रहा है, जिनमें कई सुरक्षाकर्मी और निर्दोष नागरिक मारे गए थे.
गुप्त ऑपरेशनों का विशेषज्ञ
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को यह भी आशंका है कि पाकिस्तान ने मूसा को ‘उधार पर आतंकी’ के रूप में लश्कर को सौंपा है, ताकि वह अपने सैन्य प्रशिक्षण का फायदा आतंकवाद फैलाने में उठा सके. एसएसजी में मिला प्रशिक्षण हाशिम मूसा को खतरनाक बनाता है, क्योंकि वह गुप्त ऑपरेशनों, नज़दीकी लड़ाई (हैंड-टू-हैंड कॉम्बैट), और कठिन इलाकों में लंबे समय तक टिके रहने में माहिर है. उसकी यह क्षमताएं भारतीय बलों के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी हैं.
कैसे हुआ खुलासा?
हमले के बाद गिरफ्तार किए गए 15 ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) से पूछताछ के दौरान मूसा की पहचान सामने आई. इन स्थानीय वर्करों ने आतंकियों को आश्रय, राशन, हथियारों की सप्लाई और इलाके की जानकारी देने में मदद की थी. इन बयानों के आधार पर एजेंसियों ने यह भी पुष्टि की कि इस हमले में ISI की गहरी भूमिका थी, जो सीधे तौर पर पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित आतंकवाद को उजागर करती है.
भारत के लिए अगली रणनीति
हाशिम मूसा अकेला नहीं है. इससे पहले के आतंकी हमलों में उसके साथ जुनैद अहमद भट और अरबाज मीर जैसे दो स्थानीय आतंकी भी सक्रिय थे. हालांकि, दोनों को भारतीय सुरक्षाबलों ने नवंबर और दिसंबर 2024 में मुठभेड़ों में मार गिराया था. अब हाशिम मूसा का ज़िंदा होना और पहलगाम जैसे जघन्य हत्याकांड में उसकी भूमिका भारत के सामने एक गंभीर रणनीतिक और सुरक्षा चुनौती बनकर उभरी है.


