जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने संत प्रेमामंद महाराज पर दिया बयान, दे डाली ये चुनौती...
मथुरा-वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज को लेकर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बयान दिया है. रामभद्राचार्य ने स्पष्ट किया कि उनके मन में संत प्रेमानंद के प्रति कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है, लेकिन उन्हें न तो विद्वान मानते हैं और न ही चमत्कारी.

Premananda Maharaj vs Rambhadracharya: मथुरा-वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज को लेकर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बड़ा और सीधा बयान दिया है. उन्होंने संत की विद्वता और चमत्कारिक छवि पर सवाल खड़े करते हुए चुनौती दी कि प्रेमानंद महाराज एक अक्षर संस्कृत बोलकर दिखाएं या उनके कहे श्लोकों का हिंदी में अर्थ समझाएं. रामभद्राचार्य ने स्पष्ट किया कि उनके मन में संत प्रेमानंद के प्रति कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है, लेकिन उन्हें न तो विद्वान मानते हैं और न ही चमत्कारी.
सुर्खियों में रहते हैं संत प्रेमानंद महाराज
दरअसल, संत प्रेमानंद महाराज अपनी सादगी और भक्ति भाव के कारण सोशल मीडिया पर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. उनकी ख्याति इतनी है कि क्रिकेटर विराट कोहली समेत कई बड़े सेलिब्रिटी उनसे आशीर्वाद ले चुके हैं. खास बात यह है कि पिछले 19 वर्षों से उनकी दोनों किडनियां खराब हैं, फिर भी वह हर दिन वृंदावन की परिक्रमा करते हैं. उनके अनुयायी इसे अद्भुत श्रद्धा और आस्था का प्रमाण मानते हैं.
धर्म और समाज से जुड़े मुद्दों पर रखी राय
इंटरव्यू में रामभद्राचार्य ने धर्म और समाज से जुड़े कई मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी. जब उनसे संत प्रेमानंद महाराज पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके लिए वह अब भी एक बालक जैसे हैं. उन्होंने कहा कि, “अगर वास्तव में कोई चमत्कार है तो मैं चुनौती देता हूं कि प्रेमानंद जी मेरे सामने एक संस्कृत अक्षर बोलकर दिखाएं या मेरे द्वारा कहे गए श्लोकों का अर्थ समझाएं.”
उन्होंने यह भी कहा कि पहले के समय में केवल विद्वान और शास्त्रों में पारंगत लोग ही प्रवचन और कथावाचन किया करते थे. लेकिन आजकल ऐसे भी लोग धर्म का ज्ञान बांट रहे हैं जिन्हें वे मूर्ख मानते हैं. रामभद्राचार्य के अनुसार, वास्तविक चमत्कार वही है जब कोई शास्त्रीय चर्चा में सहजता से उतर सके और श्लोकों का अर्थ ठीक तरह से समझा पाए.
साथ ही उन्होंने प्रेमानंद महाराज की बढ़ती लोकप्रियता को "क्षणभंगुर" बताया. उनके मुताबिक, लोगों का आकर्षण और शोहरत अस्थायी होती है. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें संत का भजन करना पसंद है, लेकिन इसे चमत्कार मानना उचित नहीं है.
इस तरह, एक ओर जहां संत प्रेमानंद महाराज आस्था और भक्ति का बड़ा चेहरा बनकर उभर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रामभद्राचार्य जैसे विद्वान उनके ज्ञान और चमत्कारिक छवि पर सवाल उठा रहे हैं. इससे धर्म जगत में एक नई बहस छिड़ गई है कि आस्था और लोकप्रियता को विद्वता के बराबर माना जा सकता है या नहीं.


