जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा, 3 बड़े सियासी कयास
सोमवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उनके इस कदम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, और अब हर कोई यह जानना चाहता है कि इस इस्तीफे के पीछे की असली वजह क्या है.

Vice President Resignation: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद राजनीतिक हलकों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. 74 वर्षीय धनखड़, जिन्होंने महज 12 दिन पहले ही जेएनयू में एक कार्यक्रम के दौरान अगस्त 2027 में ईश्वरीय कृपा से सेवानिवृत्त होने की बात की थी. अपने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया. हालांकि, उनकी सेहत को लेकर कम ही लोग इस कारण से सहमत हुए. इस बीच, विपक्षी नेताओं और अन्य राजनीतिक विश्लेषकों ने इस इस्तीफे को लेकर अपनी आशंकाएं और सवाल उठाए हैं.
धनखड़ के इस्तीफे ने, जिसमें कोई आधिकारिक बयान उपराष्ट्रपति कार्यालय या सरकार की ओर से जारी नहीं किया गया, राजनीतिक हलकों में कई अनुत्तरित सवाल छोड़ दिए हैं. खासकर भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया न आने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा धनखड़ को 'किसान पुत्र' और 'प्रेरक' कहे जाने के बावजूद इस घटनाक्रम ने स्थिति को और भी रहस्यमय बना दिया है.
धनखड़ का इस्तीफा और बिहार चुनाव की रणनीति
एक अटकल यह भी है कि धनखड़ के इस्तीफे के बाद, बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले नीतीश कुमार को अगला उपराष्ट्रपति बनाए जाने का रास्ता खुल सकता है. भाजपा के अंदर इस बात की संभावना जताई जा रही है कि नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाए जाने से उन्हें खुश रखा जा सकता है. बिहार चुनावों के दृष्टिकोण से यह कदम भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि पार्टी इस बार वहां अधिक सीटें जीतने की उम्मीद लगाए बैठी है.
मंगलवार को भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर ने इस अफवाह को और बल दिया, जब उन्होंने कहा, 'अगर नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाया जाता है तो यह बिहार के लिए बहुत अच्छा होगा.' इससे इस सिद्धांत को और भी मजबूती मिली है कि धनखड़ के इस्तीफे के बाद भाजपा बिहार चुनाव के मद्देनजर अपनी रणनीति को दोबारा तय कर सकती है.
धनखड़ के इस्तीफे का कारण और मानसून सत्र की घटनाएं
इस इस्तीफे के पीछे एक अन्य सिद्धांत भी है, जिसमें कहा जा रहा है कि मानसून सत्र के पहले दिन की घटनाओं का इससे गहरा संबंध हो सकता है. सोमवार को धनखड़ ने यह घोषणा की थी कि उन्हें 68 विपक्षी सांसदों द्वारा एक नोटिस प्राप्त हुआ है, जिसमें न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने की मांग की गई थी, और उपराष्ट्रपति ने इसे स्वीकार किया. लेकिन विपक्ष द्वारा की गई इस जल्दबाजी में कार्रवाई से, और राज्यसभा में भाजपा नेताओं के बैठक में अनुपस्थित रहने के बाद एनडीए के बीच आक्रोश फैल गया. कांग्रेस पार्टी ने इस घटना को उपराष्ट्रपति का अपमान नाम दिया और आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर इस मुद्दे पर स्थिति को उलझा दिया. इसके अलावा, राज्यसभा में एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान, जेपी नड्डा की टिप्पणी, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा, सिर्फ मैं जो कहूंगा वही रिकॉर्ड में जाएगा', ने इस विवाद को और बढ़ा दिया.
न्यायपालिका पर धनखड़ की टिप्पणियां
धनखड़ की न्यायपालिका पर की गई टिप्पणियां और उनके 'माई वे या हाईवे' दृष्टिकोण ने सरकार के कुछ हिस्सों में असंतोष पैदा किया था. 2022 में उपराष्ट्रपति बनने के बाद से, उन्होंने न्यायिक अतिक्रमण के मुद्दे पर कई बार सरकार के रुख का समर्थन किया और सर्वोच्च न्यायालय की आलोचना की. इस तरह की टिप्पणियां सरकार के भीतर कुछ लोगों को खटक सकती हैं और यह भी एक कारण हो सकता है कि उन्होंने इस्तीफा दिया हो. हालांकि, कई लोग मानते हैं कि उनके इस्तीफे का मुख्य कारण उनकी सेहत हो सकती है, कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने कहा, 'राजनीति में सब कुछ सीधा-सादा नहीं होता.'


