वक्फ बिल पर JPC की रिपोर्ट राज्यसभा में पेश, हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर जेपीसी रिपोर्ट राज्यसभा में पेश होते ही विपक्ष ने हंगामा किया, जिससे सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि उनके असहमति नोट्स रिपोर्ट से हटा दिए गए, जिसे लोकतंत्र विरोधी कदम बताया गया.

Waqf Amendment Bill JPC Report: वक्फ संशोधन बिल 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट गुरुवार को राज्यसभा में पेश की गई. रिपोर्ट पेश होते ही विपक्षी दलों ने जोरदार हंगामा किया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई. राज्यसभा में इस रिपोर्ट को मेदहा विश्राम कुलकर्णी और गुलाम अली ने पेश किया.
आज लोकसभा में पेश होगी रिपोर्ट
लोकसभा के लिए तय एजेंडे के अनुसार, जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल और बीजेपी सांसद संजय जयसवाल इस रिपोर्ट को सदन में पेश करेंगे. ये रिपोर्ट 30 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी गई थी. हालांकि, विपक्षी दलों के विरोध और नारेबाजी के चलते लोकसभा की कार्यवाही भी दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई.
विपक्ष का दावा: असहमति नोट को हटाया गया
JPC ने 29 जनवरी को संशोधित विधेयक को मंजूरी देकर रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया था, लेकिन विपक्षी नेताओं ने अपनी असहमति जताते हुए नोट्स प्रस्तुत किए थे. इसे लेकर, डीएमके सांसद मोहम्मद अब्दुल्ला ने कहा कि विपक्ष इस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि उनके असहमति नोट्स रिपोर्ट से हटा दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे. यह हमारी शुरू से ही स्पष्ट स्थिति रही है... हमारे असहमति नोट्स के कुछ अंश JPC रिपोर्ट से हटा दिए गए हैं. हम लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से इस पर अपील करेंगे.
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी की प्रतिक्रिया
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भी यही आरोप लगाते हुए कहा कि वह इस मुद्दे को लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष उठाएंगे.
"हमारे असहमति नोट्स को रिपोर्ट से हटा दिया गया है. नियमों के अनुसार केवल अनुचित टिप्पणियों को हटाया जा सकता है, लेकिन हमारी दी गई जानकारी पर विचार ही नहीं किया गया..."
मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया 'फर्जी रिपोर्ट'
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने JPC रिपोर्ट को 'फर्जी' करार देते हुए इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि JPCरिपोर्ट में कई सदस्यों ने अपनी असहमति दर्ज कराई थी, लेकिन उसे हटा दिया गया. यह लोकतंत्र के खिलाफ है. विचारों को इस तरह दबाना सही नहीं है... मैं इस रिपोर्ट की निंदा करता हूं. अगर असहमति के नोट्स शामिल नहीं हैं, तो रिपोर्ट को वापस भेजा जाना चाहिए और फिर से पेश किया जाना चाहिए.


