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अंकिता हत्याकांड में तीन साल बाद इंसाफ, पुलकित आर्य समेत तीनों दोषी करार

कोटद्वार की अदालत ने 14 महीने की सुनवाई के बाद 2022 अंकिता भंडारी हत्याकांड में पूर्व भाजपा नेता के बेटे पुलकित आर्य और दो अन्य को दोषी ठहराया.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

उत्तराखंड की एक अदालत ने बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया. अदालत ने पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य और उसके दो सहयोगियों – सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता – को 19 वर्षीय रिसेप्शनिस्ट अंकिता की हत्या का दोषी ठहराया. यह फैसला पौड़ी जिले की कोटद्वार स्थित अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने सुनाया.

अंकिता भंडारी यमकेश्वर क्षेत्र स्थित पुलकित आर्य के वनंतरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम कर रही थी. 18 सितंबर 2022 को वह अचानक लापता हो गई थी. इसके बाद कई दिनों तक उसे तलाशा गया और अंततः उसका शव ऋषिकेश के पास चिल्ला नहर में बरामद हुआ. इस दर्दनाक घटना ने पूरे उत्तराखंड को झकझोर कर रख दिया था. मामला सामने आने के बाद यह महिला सुरक्षा, राजनीतिक हस्तक्षेप और न्याय प्रणाली की पारदर्शिता को लेकर राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन गया.

एसआईटी ने दर्ज किए थे 97 गवाह

मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया. एसआईटी ने 500 पन्नों का आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया जिसमें 97 गवाह शामिल किए गए थे. इनमें से 47 गवाहों के बयान 28 मार्च 2023 से शुरू हुई सुनवाई के दौरान दर्ज किए गए.

आरोप और धाराएं

पुलकित आर्य और अन्य दो आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाने), 354 ए (यौन उत्पीड़न) और अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया गया. बाद में इन पर गैंगस्टर एक्ट भी लगा दिया गया. पुलकित पर अंकिता को रिसॉर्ट में आने वाले वीआईपी ग्राहकों को “विशेष सेवा” देने के लिए दबाव डालने का भी गंभीर आरोप लगा था, जिसे लेकर देशभर में रोष था.

मां ने की दोषियों को फांसी देने की मांग

अदालत के फैसले से ठीक पहले अंकिता भंडारी की मां ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा, “अपराधियों को मौत की सज़ा मिलनी चाहिए.” उन्होंने उत्तराखंड की जनता से अपील की कि वे कोटद्वार अदालत में उपस्थित होकर उनके परिवार का हौसला बढ़ाएं. उन्होंने यह भी कहा कि न्याय तभी पूरा होगा जब तीनों दोषियों को फांसी की सज़ा दी जाएगी.

फैसले पर पूरे देश की नजर

अब सबकी नजरें सज़ा के ऐलान पर टिकी हैं. यह मामला केवल एक बेटी को न्याय दिलाने का नहीं, बल्कि समाज में महिला सुरक्षा, राजनीतिक हस्तक्षेप के विरुद्ध न्यायपालिका की ताकत को भी परिभाषित करता है. अदालत ने दोष तो तय कर दिए हैं, लेकिन जनता को अब फांसी जैसी सख्त सज़ा का इंतज़ार है.

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30 May 2025, 12:11 PM IST

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