न्यायमूर्ति के पद से हटाए जाएंगे जस्टिस वर्मा! सरकार को मिला विपक्ष का साथ, मानसून सत्र में आ सकता है महाभियोग प्रस्ताव
दिल्ली स्थित सरकारी आवास में नकदी मिलने के बाद न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा पर महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट पैनल की जांच में पर्याप्त सबूत मिले. आग की घटना से मामला उजागर हुआ. जांच समिति बनेगी. पूर्व CJI की सिफारिश पर संसद में कार्रवाई की तैयारी है, जिसे विपक्ष का भी समर्थन मिल रहा है.

दिल्ली स्थित सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद विवादों में आए न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ अब संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है. सरकार संसद के आगामी मानसून सत्र में इस प्रस्ताव को पेश करने की तैयारी में है, जिसे विपक्ष का भी समर्थन मिल रहा है.
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा. संविधान के तहत, किसी न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए लोकसभा में प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं. इस प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है और सांसदों के हस्ताक्षर एकत्र किए जा रहे हैं. प्रस्ताव पेश होने के बाद एक जांच समिति गठित की जाएगी जो आरोपों की गहराई से जांच करेगी.
सुप्रीम कोर्ट पैनल की जांच में मिले सबूत
इससे पहले, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एक विशेष जांच पैनल ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपते हुए बताया था कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोप "पर्याप्त प्रमाणों" पर आधारित हैं. पैनल ने सिफारिश की थी कि उन्हें पद से हटाया जाए. जांच के दौरान 55 गवाहों से पूछताछ की गई और सबूतों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि न्यायाधीश और उनके परिवार का अपने सरकारी आवास के स्टोर रूम पर सीधा नियंत्रण था.
आग के बाद उजागर हुई नकदी
14 मार्च को दिल्ली स्थित न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना ने पूरे मामले को उजागर किया. उस समय वे घर पर नहीं थे. आग बुझाने के बाद स्टोर रूम में जले हुए नोटों के ढेर मिले, जिनकी ऊंचाई लगभग डेढ़ फीट थी. मामले को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के संज्ञान में लाया गया, जिसके बाद उन्हें दिल्ली से इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया.
धन के स्रोत पर स्पष्टता नहीं
जांच पैनल ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया कि न्यायाधीश वर्मा नकदी के स्रोत के बारे में कोई स्पष्ट स्पष्टीकरण नहीं दे सके. उन्होंने इन आरोपों को साजिश करार दिया, लेकिन सबूतों और गवाहों के बयानों से उनकी बातों को बल नहीं मिला.
पूर्व CJI की सिफारिश पर हो रहा है कार्रवाई
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने पैनल की रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की औपचारिक सिफारिश की थी. अब सरकार और विपक्ष दोनों की सहमति से यह मामला संसद में पहुंचने को तैयार है, जो न्यायपालिका की गरिमा और जवाबदेही से जुड़ा एक अहम कदम माना जा रहा है.


