‘प्रोजेक्ट विष्णु’ से बदलेगा युद्ध का नियम, भारत बनाएगा दुनिया की सबसे तेज़ हाइपरसोनिक मिसाइल!
प्रोजेक्ट विष्णु के तहत भारत सिर्फ अटैक मिसाइलें नहीं, बल्कि एडवांस इंटरसेप्टर मिसाइल सिस्टम भी विकसित कर रहा है. ये सिस्टम दुश्मन की क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर देगा. इससे भारत की हवाई सुरक्षा कई गुना मजबूत हो जाएगी और रक्षा कवच अभेद्य बनेगा.

भारत ने अपनी सैन्य शक्ति को नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. सीमाओं पर बढ़ती चुनौतियों और वैश्विक सुरक्षा हालात को देखते हुए देश अब दुनिया की सबसे एडवांस हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ रहा है. इस दिशा में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 'प्रोजेक्ट विष्णु' की शुरुआत की है, जो आने वाले वर्षों में दुश्मनों की नींद उड़ाने वाला साबित हो सकता है.
इस विशेष प्रोजेक्ट के तहत DRDO एक साथ 12 अलग-अलग तरह की हाइपरसोनिक मिसाइलों पर काम कर रहा है. ये मिसाइलें मैक 8 की गति से उड़ेंगी यानी लगभग 11,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से. इस स्पीड को हासिल करने के बाद भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की गिनती में शामिल हो जाएगा.
केवल हमला नहीं, रक्षा भी
प्रोजेक्ट विष्णु का दायरा सिर्फ आक्रामक मिसाइलों तक सीमित नहीं है. इसके तहत एक आधुनिक इंटरसेप्टर मिसाइल सिस्टम भी विकसित किया जा रहा है, जो दुश्मन की क्रूज या बैलेस्टिक मिसाइल को रास्ते में ही नष्ट करने में सक्षम होगा. इससे भारत की एयर डिफेंस क्षमता कई गुना मजबूत हो जाएगी.
2030 तक पूरी तरह ऑपरेशनल होगा
DRDO का लक्ष्य है कि यह पूरा प्रोजेक्ट अगले पांच वर्षों में, यानी 2030 तक पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाए. इसके बाद भारत पाकिस्तान या किसी भी अन्य विरोधी देश के भीतर गहराई तक कुछ ही मिनटों में सटीक हमला करने की क्षमता हासिल कर लेगा. इसकी मिसाइलों को रोक पाना लगभग नामुमकिन होगा.
एडवांस तकनीक से लेस
इन हाइपरसोनिक मिसाइलों में एडवांस नेविगेशन और कंट्रोल सिस्टम होगा, जिससे उन्हें उड़ान के दौरान रीडायरेक्ट किया जा सकेगा. इतना ही नहीं, ये मिसाइलें दुश्मन के रडार को भी चकमा देने में सक्षम होंगी.
स्क्रैमजेट इंजन और मोबाइल लॉन्च क्षमता
ET-LDHCM नाम की मिसाइलें स्क्रैमजेट इंजन से लैस होंगी, जो उन्हें हाइपरसोनिक गति देने में सक्षम बनाता है. इन्हें मोबाइल लॉन्चर, एयरक्राफ्ट या नेवी के युद्धपोत से भी दागा जा सकता है, जिससे भारत की जवाबी कार्रवाई की क्षमता और भी लचीली हो जाती है.
2000 किलोमीटर तक मारक क्षमता
इन मिसाइलों की रेंज करीब 2000 किलोमीटर होगी और ये पारंपरिक से लेकर परमाणु वॉरहेड तक ले जाने में सक्षम होंगी. खास बात यह है कि चीन जैसे देशों के उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम के लिए भी इन्हें पकड़ पाना आसान नहीं होगा.


