जस्टिस वर्मा ने खुद को बताया XXX, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते वक्त क्यों छुपाई अपनी पहचान?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करने जा रहा है. इस याचिका में उन्होंने नकदी बरामदगी से जुड़ी जांच रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की है. चौंकाने वाली बात यह है कि उन्होंने अपनी पहचान छिपाते हुए याचिका में खुद को XXX बताया है.

Justice Yashwant Varma: इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करने जा रहा है. यह याचिका एक आंतरिक जांच समिति की उस रिपोर्ट को चुनौती देती है जिसमें कथित रूप से उनके खिलाफ नकदी बरामदगी से जुड़ी बातों का जिक्र है. लेकिन इस याचिका में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि उन्होंने अपनी पहचान छिपाते हुए नाम की जगह XXX लिखा है.
आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में यौन उत्पीड़न, यौन हिंसा, नाबालिगों और विवाह विवादों में पहचान छिपाने की अनुमति दी जाती है. लेकिन किसी हाईकोर्ट के मौजूदा जज द्वारा खुद को XXX बताना कई सवाल खड़े कर रहा है. यह मामला अब कानूनी और नैतिक दोनों ही दृष्टिकोणों से बेहद संवेदनशील बन गया है.
याचिका में क्यों लिखा गया XXX?
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका में उनके नाम के स्थान पर XXX दर्ज किया गया है. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर यह याचिका XXX बनाम भारत संघ के नाम से रजिस्टर्ड है. आमतौर पर इस तरह की पहचान छुपाने की अनुमति उन मामलों में दी जाती है जहां पीड़ित पक्ष महिला हो, वह यौन उत्पीड़न का शिकार हुआ हो, या मामला नाबालिग से जुड़ा हो.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका का नंबर और विवरण
यह याचिका इस वर्ष की 699वीं सिविल रिट याचिका है, जिसमें भारत सरकार को पहला और सुप्रीम कोर्ट को दूसरा प्रतिवादी बनाया गया है. यह याचिका 17 जुलाई को दाखिल की गई थी. रजिस्ट्री द्वारा कुछ तकनीकी खामियों की ओर इशारा करने के बाद, इन्हें ठीक किया गया और 24 जुलाई को याचिका सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार की गई.
किस बेंच के सामने होगी सुनवाई?
यह याचिका जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के सामने सूचीबद्ध की गई है. सुप्रीम कोर्ट की काज लिस्ट के मुताबिक, यह याचिका सोमवार को 56वें क्रम में सुनवाई के लिए रखी गई है. वहीं, इसी दिन 59वें क्रम पर एक और अहम याचिका है जो एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदुम्पारा ने दाखिल की है. इसमें जस्टिस वर्मा के खिलाफ नकदी जलाने और गायब होने की घटना की FIR दर्ज करने की मांग की गई है.
जस्टिस वर्मा ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा 8 मई को संसद को भेजी गई सिफारिश को भी रद्द करने की मांग की है. इस सिफारिश में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया गया था.
उनकी याचिका में यह भी कहा गया है कि जांच समिति ने आरोपों की जांच का भार बचाव पक्ष पर डाल दिया, जो न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है. जस्टिस वर्मा ने याचिका में तर्क दिया कि इस प्रकार की जांच ने उन्हें खुद को निर्दोष साबित करने के लिए मजबूर कर दिया, जो न्यायसंगत प्रक्रिया नहीं है.


