कन्हैया ने माना तेजस्वी को सीएम, फिर भी लालू परिवार में दूरी बरकरार
कन्हैया कुमार ने तेजस्वी यादव को सीएम फेस माना है और कोई विवाद नहीं बताया, लेकिन फिर भी लालू परिवार में उनकी जगह नहीं बन पाई है. गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी के नेता को ही सीएम उम्मीदवार माना जाता है, फिर भी कन्हैया को परिवार का समर्थन नहीं मिला.

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन के भीतर लगातार तनाव की स्थिति बनी हुई है, जो सहजता से छुप नहीं रही. बुधवार को ‘बिहार बंद’ के दौरान यह तनाव स्पष्ट रुप से देखने को मिला, जब लोकसभा विपक्ष के नेता राहुल गांधी और RJD नेता तेजस्वी यादव खुली ट्रक (रथ) पर सवार होकर विरोध मार्च निकाल रहे थे. कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार भी ट्रक पर चढ़े, लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें तुरंत नीचे उतार दिया गया—जिससे यह स्पष्ट हो गया कि लालू परिवार कन्हैया को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पा रहा है
कांग्रेस के युवा नेता कन्हैया कुमार ने पिछले माह ही साफ कहा था कि तेजस्वी यादव ही महागठबंधन का सीएम चेहरा हैं और इसमें कोई भ्रम नहीं है . उनके इस कथन से यह स्पष्ट होता है कि कन्हैया खुले तौर पर RJD के नेतृत्व को स्वीकार कर रहे हैं. फिर भी, लालू परिवार द्वारा उन्हें ट्रक से उतार देना उनके स्वीकार्यता में कमी को दर्शाता है.
कांग्रेस में कन्हैया का भूमिका — क्रेड करना या चुनौती?
कांग्रेस नेतृत्व, विशेष रूप से राहुल गांधी, कन्हैया को बिहार में युवा नेता के रूप में बढ़ावा दे रहे हैं. जब राहुल ने बगुसराय में ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ पदयात्रा में कन्हैया के साथ कदम मिलाया, तब यह स्पष्ट संकेत था कि कांग्रेस युवा वोटरों के बीच अपना प्रभाव बढ़ाना चाहती है
गठबंधन की सतही एकता और गहरी दरार
बिहार में गठबंधन की सतही एकता स्पष्ट रूप से देखने को मिल रही है: कांग्रेस ने तेजस्वी को सीएम फेस स्वीकार किया है; कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डिग्विजय सिंह ने भी तेजस्वी का समर्थन किया. लेकिन जून में कन्हैया और राहुल को रथ से बाहर निकालने की घटना ने सुझाव दिया कि गठबंधन की प्रतीकात्मक एकता के पीछे गहरी आपसी खींचतान है .
अंदरूनी आलोचना और विरोध का स्वर
कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भी कन्हैया की उस पदयात्रा को लेकर नाराजगी जताई थी जिसमें उन्होंने युवा रोजगार और पलायन का मुद्दा उठाया—यह मुद्दा तेजस्वी का परंपरागत एजेंडा है
क्या होगा गठबंधन का भविष्य?
विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव संरखित नेतृत्व क्षमता और पुरानी राजनैतिक विरासत की वजह से गठबंधन में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं. कन्हैया की भूमिका अभी स्पष्ट नहीं; हालांकि युवा‐जनांदोलन में उनकी पकड़ मजबूत है, लेकिन कोई पार्टी नेतृत्व के रूप में उनको अब तक स्वीकार नहीं कर रही .
गठबंधन की मजबूती के लिए जरूरी है कि सभी घटक दल, खासकर कांग्रेस और RJD, आपसी मतभेदों को स्थगित करें और सामूहिक रणनीति अपनाएं. फिलहाल, ‘बाहर से’ एकता दिख रही है लेकिन ‘भीतर’ स्थितिfragmented बनी हुई है. आगामी चुनावों में यह देखने की बात होगी कि गठबंधन कितनी गहराई तक एकता प्रदर्शित कर पाता है—और क्या कन्हैया के साथ शामिल कांग्रेस समाज को एक मजबूत विकल्प दिखा सकती है?


