score Card

'मंदिर में इस्लाम का प्रचार करना अपराध नहीं', यह कहते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुस्लिम युवकों के खिलाफ रद्द की FIR

कर्नाटक हाई कोर्ट ने तीन मुस्लिम युवकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि इस्लामिक पर्चे बांटना और मौखिक प्रचार तब तक अपराध नहीं है जब तक धर्मांतरण का प्रमाण न हो. अदालत ने पाया कि युवकों ने किसी को जबरन धर्म बदलने के लिए प्रेरित नहीं किया, इसलिए केस निराधार था.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में तीन मुस्लिम युवकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया है. इन लोगों पर आरोप था कि उन्होंने एक हिंदू मंदिर में इस्लाम धर्म से संबंधित पर्चे बांटे और मौखिक रूप से अपनी धार्मिक मान्यताओं का प्रचार किया. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब तक धर्मांतरण का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता, तब तक इस तरह की गतिविधियों को अपराध नहीं कहा जा सकता.

किन धाराओं में दर्ज हुए थे मामले?

इन युवकों पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 299, 351(2) और 3(5) तथा कर्नाटक धर्म स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2022 की धारा 5 के तहत केस दर्ज किया गया था. हालांकि, जस्टिस वेंकटेश नाइक टी की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान यह कहा कि इन धाराओं के तहत अपराध सिद्ध नहीं होता, क्योंकि आरोपियों द्वारा धर्मांतरण कराने का कोई प्रयास नहीं किया गया.

शिकायतकर्ता के आरोप

रिपोर्ट के अनुसार, शिकायतकर्ता ने बताया कि 4 मई 2025 को वह जामखंडी के रामतीर्थ मंदिर गया था, जहां तीन मुस्लिम युवक मंदिर परिसर में इस्लाम से संबंधित साहित्य बांट रहे थे. साथ ही, वे मौखिक रूप से भी अपनी धार्मिक मान्यताओं को समझा रहे थे. शिकायत में यह भी कहा गया कि जब मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं ने उनसे सवाल किया, तो उन्होंने हिंदू धर्म पर अपमानजनक टिप्पणियां कीं.

प्रलोभन देने के आरोप भी

शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपित युवकों ने मंदिर में मौजूद कुछ लोगों को इस्लाम धर्म अपनाने पर गाड़ी और दुबई में नौकरी दिलवाने का वादा किया था. इन आरोपों के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था.

याचिकाकर्ताओं का पक्ष

एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए आरोपियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और तर्क दिया कि वे सिर्फ अल्लाह और पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं का प्रचार कर रहे थे. उन्होंने किसी को जबरदस्ती या प्रलोभन देकर धर्म बदलने के लिए प्रेरित नहीं किया. उनका उद्देश्य केवल अपने धर्म के बारे में जानकारी देना था, न कि धर्मांतरण कराना.

धर्मांतरण के प्रमाण नहीं मिले

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि एफआईआर में जिन घटनाओं का उल्लेख किया गया है, वे कर्नाटक धर्म स्वतंत्रता कानून की धारा 5 के अंतर्गत आने वाले धर्मांतरण के तत्वों को पूरा नहीं करतीं. कोर्ट ने यह मान लिया कि प्रस्तुत तथ्यों से यह साबित नहीं होता कि आरोपियों ने धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की.

calender
24 July 2025, 05:48 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag