जानिए भारत के सबसे ताकतवर आदमी के बारे में...,जिन्होंने 4 दिन में 350 किलोमीटर की दौड़ पूरी की
मुंबई के सुकांत सिंह सूकी दुनिया के पहले भारतीय बन गए हैं, जिन्होंने तीन 200 मील की अल्ट्रामैराथन दौड़ पूरी की. हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में आयोजित डिलीरियस वेस्ट रेस में भाग लेने के बाद, सूकी ने अपनी यात्रा और प्रेरणा को लेकर विचार साझा किए.

भारत के सुकांत सिंह सूकी ने शारीरिक और मानसिक दृढ़ता की मिसाल पेश करते हुए दुनिया की सबसे कठिन अल्ट्रामैराथन 'डेलिरियस वेस्ट' को 102 घंटे और 27 मिनट में पूरा किया. यह 350 किलोमीटर लंबी दौड़ पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के नॉर्थक्लिफ़ से अल्बानी तक आयोजित की गई थी, जिसमें सूकी अकेले भारतीय प्रतिभागी थे. इस उपलब्धि ने उन्हें अल्ट्रा-एथलीटों की दुनिया में एक अग्रणी स्थान दिलाया.
2019 में शुरू हुआ सूकी का सफर
सूकी का यह सफर 2019 में शुरू हुआ, जब वह मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे घबराहट के दौरे और अवसाद से जूझ रहे थे. उन्होंने दौड़ना शुरू किया और यह उनकी मानसिक स्थिति में सुधार का माध्यम बन गया. उन्होंने इस अनुभव को अपनी किताबों 'लिमिटलेस ह्यूमन्स' और 'चेज़िंग जीनियस' में साझा किया है.
2023 में सूकी ने 'डेलिरियस वेस्ट' में भाग लिया, जो दुनिया की सबसे कठिन दौड़ों में से एक मानी जाती है. इसमें चार रातों तक बिना सोए दौड़ना, जंगलों से गुजरना और लगातार शारीरिक दर्द सहना शामिल था. इस दौड़ में 27 प्रतिभागियों में से केवल 20 ने इसे पूरा किया और सूकी उनमें से एक थे.
इस दौड़ के दौरान सूकी को मानसिक और शारीरिक रूप से कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि नींद की कमी और शारीरिक दर्द ने उन्हें मानसिक रूप से कमजोर कर दिया था, लेकिन उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प से इन चुनौतियों को पार किया.
मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता
सूकी की इस उपलब्धि ने उन्हें मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने का एक प्रभावी माध्यम प्रदान किया. उन्होंने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर खुलकर बात करना और उन्हें स्वीकार करना समाज के लिए आवश्यक है. उनकी यात्रा ने यह सिद्ध कर दिया कि शारीरिक सीमाओं को पार करके मानसिक दृढ़ता को मजबूत किया जा सकता है.
इस उपलब्धि के बाद, सूकी ने 'अनरीज़नेबल ईस्ट' दौड़ में भी भाग लिया, जिसमें उन्होंने 325 किलोमीटर की दूरी 105 घंटे और 31 मिनट में पूरी की. यह दौड़ भी अत्यधिक कठिनाईयों से भरी थी, जिसमें बारिश, कीचड़ और थकान जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा. इसमें भी सूकी ने अपनी मानसिक और शारीरिक शक्ति का अद्वितीय प्रदर्शन किया.
सूकी की यह यात्रा शारीरिक चुनौती
सूकी की यह यात्रा न केवल एक शारीरिक चुनौती थी, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज की सोच को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है. उनकी उपलब्धियों ने यह सिद्ध कर दिया कि मानसिक और शारीरिक सीमाओं को पार करके कोई भी असंभव कार्य संभव है.
उनकी यात्रा से प्रेरित होकर, कई लोग मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर खुलकर बात करने लगे हैं और उन्हें स्वीकार करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. सूकी की यह उपलब्धि न केवल एक व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक प्रेरणा है.


